PATNA: देश भर के किसी भी जू की तुलना में मात्र पटना जू में सर्वाधिक गैंडा है। यहां कुल 12 गैंडा हैं। इसका कारण यहां का बेहतर और अनुकूल प्राकृतिक आवास क्षेत्र है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल जू ऑथारिटी ने पटना जू को कंजर्वेशन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है। देश भर में गैंडा की संख्या को बढ़ाना बड़ी चुनौती है। साथ ही, इसका अवैध रूप से शिकार किये जाने के कारण भी यह लक्ष्य कठिन हो रहा है। यदि कंजर्वेशन सेंटर कामयाब रहा तो यह देश भर में गैंडा संरक्षण के लिए नजीर साबित होगा। पटना जू के अलावा एक मात्र जू, अमेरिका के सैनडियागो में है, जहां गैंडों का संरक्षण किया जा रहा है। यहां एक साथ 27 गैंडा रखा गया है।

क्यों खास है पटना जू

पटना जू को ही कंजर्वेशन सेंटर के लिए क्यों चुना गया, इस पटना जू के डायरेक्टर अमित कुमार ने बताया कि यहां चार अलग- अलग ब्लड लाइन का गैंडा रखा गया है। यह गैंडा के प्रजनन के लिए एक आदर्श स्थिति पैदा करता है, जो कि अन्य जू में नहीं है।

अन्य जीवों के लिए भी खास है गैंडा की उपस्थिति

गैंडा की शारीरिक बनावट ही नहीं बल्कि प्राकृतिक क्षेत्र में इसकी उपस्थिति एक खास स्थान रखता है। इस बारे में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पटना के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि इसे 'की स्टोन स्पीसिज' कहा जाता है। की स्टोर स्पीसिज का अर्थ है वैसे जीव से है, जो कि दूसरे जीवों के रहने के लिए भी एक अनुकूल वातावरण बनाने में योगदान करता है। उदाहरण के लिए गैंडा जहां रहता है, वहां लंबे घास और झाडि़यां पायी जाती है। यह उसे चरता है जिससे रेपटाइल्स के स्पीसिज और कई प्रकार के बर्ड के लिए आवास विकसित करता है। यह भारी भरकम जीव है, जिसके कारण झाड़ीनुमा क्षेत्र में भी रास्ता बन जाता है, जो कि स्तनपायी सहित अन्य जीवों के लिए उपयोगी होता है।

सेंटर दर्शकों के लिए रहेगा बंद

पटना जू के अंदर जिस स्थान पर हाथी को रखा गया है। उससे पूर्व की दिशा में पूरे क्षेत्र यह क्षेत्र विकसित किया जाएगा। फिलहाल हिरण के बगल वाला इनक्लोजर गैंडा का है। यहां दर्शक आकर गैंडा को देख सकते हैं। पटना जू के डायरेक्टर अमित कुमार ने बताया कि जू में गैंडा का कंजेर्वेशन सेंटर दर्शकों के लिए नहीं खुलेगा। इस सेंटर का एकमात्र उदेश्य इनकी संख्या बढ़ाना और संरक्षण करना है। यह ब्रीडिंग एरिया है इसलिए इसे दर्शकों के लिए नहीं खोला जा सकता।