-बेतिया, कटिहार और पटना में स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद पीएमसीएच से एमबीबीएस की डिग्री ली

-कोसी को गौरवान्वित करते रहे हैं पद्मश्री डा। आरएन सिंह

SAHARSA: बिहार के सहरसा जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे डा। रबींद्र नारायण (आरएन) सिंह अपनी काबिलियत के दम पर हमेशा इलाके को गौरवान्वित करते रहे हैं। पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष रह चुके डा। सिंह को विहिप का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद पूरा इलाका खुशी से झूम उठा है।

पिता की इच्छा से लौटे थे

पतरघट प्रखंड के गोलमा गांव के जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्व। राधाबल्लभ सिंह व इंदू देवी के कनिष्ठ पुत्र डा। रबींद्र नारायण सिंह अपने पिता के साथ ही रहे। पिता का स्थानांतरण जहां-जहां हुआ वहां उन्होंने स्कूली शिक्षा हासिल की। बेतिया, कटिहार और पटना में स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच) से 1970 में उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। जिसके बाद नालंदा मेडिकल कालेज (एनएमसीएच) के प्राध्यापक बने, लेकिन कुछ ही दिन बाद विशेष डिग्री हासिल करने के लिए इंगलैंड चले गये। 1976 में इंग्लैंड स्थित क्वीन मेडिकल कॉलेज से हड्डी रोग विभाग से एमएस करने के उपरांत वहीं पर मेडिकल कॉलेज के काम करने लगे। 1981 में लिवरपूल यूनिवर्सिटी से ऑर्थोपेडिक्स में एमसीएच की डिग्री ली। लेकिन पिता की इच्छा के अनुसार वे 1983 में पटना लौट गए। जिसके बाद अनुप मेमोरियल आर्थोपेडिक अस्पताल के नाम से क्लिनिक खोलकर अस्थि शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक कीर्तमान स्थापित किया।

पैतृक गांव में लोगों ने मनाया जश्न

कामयाबी की शिखर पर पहुंचने के बावजूद लगातार पैतृक गांव से मजबूत रिश्ता रखने वाले डा। आरएन सिंह को विहिप का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की सूचना से सहरसा जिले के गोलमा

गांव में जश्न सा माहौल है। अपने लाल को

विहिप का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर

गांववाले बेहद खुश हैं। डा। आरएन सिंह के

भाई प्रो। अमरनाथ सिंह, भतीजा व उच्च

न्यायालय के अधिवक्ता सतीश कुमार सिंह, गोलमा मेडिकल कालेज के व्यवस्थापक पंकज कुमार सिंह, कामेश्वर प्रसाद सिंह, ग्रामीण गोपाल सिंह, सतीश कुमार, विमलकांत झा, सदाशिव झा, योगेंद्र पासवान आदि का कहना है कि न्याय के देवता के रूप में विख्यात जिला जज स्व। राधाबल्लभ सिंह के सुयोग्य पुत्र ने पूरी दुनिया में अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। इनके कारण अब देशभर के लोग गोलमा को जानने लगे हैं। ग्रामवासियों ने उनके दीर्घायु जीवन और उज्जवल भविष्य की ईश्वर से कामना की है। ग्रामवासियों ने कहा कि उन्हें पद्मश्री मिलने पर पूरा गांव झूम उठा था। अब उन्होंने लोगों को खुशी का एक और अवसर दिया है। स्वजनों व ग्रामीणों ने अबीर-गुलाल लगाकर खुशियां मनायी।