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क्चङ्गन्क्त्र/क्कन्ञ्जहृन्: धन्य है बक्सर की भूमि। जहां लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी महाराज इतना बड़ा धार्मिक उत्सव करा रहे हैं। ये हमलोगों के लिए गौरव की बात है। यह बातें लक्ष्मीनरायण महायज्ञ और अखिल अंतराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में आए संत-महात्माओं ने कही। ज्ञात हो कि बक्सर के इटाढी प्रखंड के इंदौर पंचायत अंतगर्त काशिमपुर में त्रिदंडी स्वामी महाराज के शिष्य लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी महाराज के सानिध्य में भास्यकार भागवतपाद रामानुजाचार्य सहस्त्रा?दी के मौके लक्ष्मीनरायण महायज्ञ और अखिल अंतराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन हो रहा है। उन्होंने कहा कि भास्यकार भागवतपाद रामानुजाचार्य महाराज की सहस्त्रा?दी है। उन्होंने ही गुरु-शिष्य की परंपरा शुरू की थी। उन्हीं के शिष्य सूरदास एवं कबीरदास हुए।

कर्म मार्ग का करें अनुसरण

संतो ने कहा कि मनुष्य को किसी भी स्थिति में कर्म के मार्ग का ही अनुसरण करते रहना चाहिए। मनुष्य के जीवन का श्रेय केवल कर्म करने में है। कर्म से विमुख होकर व्यक्तित्व का निर्माण नहीं हो सकता। श्रीमद भागवत गीता भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन लक्ष्य करके सम्पूर्ण मानव प्राणियों के लिए एक सुकर्तव्य की प्रतिष्ठापना के पाथेय बताया। वास्तविक रूप में गीता मनुष्य के जीवन जीने की एक उतम शैली बताती है। आम जीवन में मंगल ग्रह को लेकर विभिन्न प्रकार की अवधारणाए बनी हुई है। जन्म समय में बालक-बालिका के जन्म कुंडली के कुछ घरों में मंगल के पड़ जाने से कुंडली मांगलिक हो जाती है। जिसको लेकर लोग भयाक्रांत हो जाते हैं। जबकि, यह बात नहीं है। मंगल मंगल कराने वाले हैं।