PATNA : जब साइबर क्राइम के विक्टिम एसएसपी खुद थे अपराधी को जमीन आसमान एक कर यूपी से पकड़ लाया गया, लेकिन आम आदमी जब दरख्वास्त लेकर थाने पहुंचा तो उसे बाहर से ही भगा दिया गया। सुनकर चौंक गए न आप, लेकिन पटना में साइबर क्राइम की कुछ यही हालत है। यहां पुलिस इसे कोई बड़ा अपराध नहीं मानती। यही कारण है साइबर क्राइम की न तो ज्यादा शिकायतें ली जाती है और न एफआईआर होती है.एसएसपी के नाम से एफबी पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर ठगने वाले को सोमवार को पकड़ा गया तो आई नेक्स्ट रिपोर्टर अगले ही दिन ऐसी ही शिकायत लेकर दो थाने में पहुंच गया। उसे थाने में जो जवाब मिला उसे सुनकर पुलिस की सारी सच्चाई सामने आ गई। तो पेश है आई नेक्स्ट का स्टिंग ऑपरेशन।

स्टिंग एक - शास्त्रीनगर थाना

आई नेक्स्ट रिपोर्टर मंगलवार को जब शास्त्रीनगर थाना पहुंचा तो थाना प्रभारी की कुर्सी खाली थी। थाना के कार्यालय में दो तीन महिला स्टाफ आपस में गपशप कर रही थीं। इतने में एक कांस्टेबल सादे वर्दी में दिखा। रिपोर्टर ने कम्प्लेंट दर्ज कराने की बात कही तो उन्होंने कैम्पस में खड़े एक दारोगा की तरफ इशारा किया। जब रिपोर्टर दरोगा जी के पास पहुंचे तो उन्होंने पहले टालामटोली की और फिर इंतजार करने का कहकर चले गए और वापस ही नहीं आए। पेश है रिपोर्टर के साथ उनकी बातचीत के कुछ अंश।

रिपोर्टर - सर, एक कम्प्लेन दर्ज कराना है।

दारोगा - क्या कम्प्लेन है।

रिपोर्टर - फेसबुक पर मेरे नाम की फेक आईडी चल रही है और मेरी फोटो भी इस्तेमाल की जा रही है?

दारोगा - तो बंद करा दीजिए न अकाउंट।

रिपोर्टर - मैं कैसे बंद करा सकता हूं सर?

दारोगा - तो मैं क्या कर सकता हूं। ये तो साइबर क्राइम का मामला है।

रिपोर्टर - सर लेकिन थाना पर तो शिकायत दर्ज होनी चाहिए? फेक अकाउंट से कोई गड़बड़ी हुई तो?

दारोगा - चलिए देखते हैं कुछ किया जाएगा। अभी मुझे जरूरी काम से निकलना है।

रिपोर्टर - सर कम्प्लेन हो जाएगी न?

दारोगा - अभी मैं कुछ नहीं बता सकता है आप इंतजार करिए मैं थोड़ी देर में काम निपटा के आता हूं।

स्टिंग दो - सचिवालय थाना

आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब सचिवालय थाना पहुंचा तो वहां भी सन्नाटा छाया था। कार्यालय में एक दो स्टाफ थे जो अपने काम में व्यस्त थे। थाना प्रभारी अपने चैम्बर में मोबाइल में लगे थे। जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह जवाब दिए।

रिपोर्टर - मेरे साथ एक फ्रॉड हो गया है?

इंस्पेक्टर - क्या हो गया।

रिपोर्टर - फेसबुक पर किसी ने मेरे नाम की फर्जी आईडी बना ली है और मेरा फोटो भी इस्तेमाल कर रहा है।

इंस्पेक्टर - ये तो साइबर क्राइम का मामला है, फिर भी देखता हूं।

रिपोर्टर - मामला साइबर क्राइम का है लेकिन आप तो मदद कर सकते हैं न ?

इंस्पेक्टर - हां हम केस दर्ज कर साइबर क्राइम को ट्रांसफर कर देंगे।

रिपोर्टर - ऐसा मामला पहले आया है क्या? आप किसी को पकड़े हैं?

इंस्प्ेक्टर - ये तो पहला मामला है। अब प्रयास किया जाएगा जरूरी नहीं ट्रेस हो जाए।

रिपोर्टर - सर फेक अकाउंट तो बंद हो जाएगा न ?

इंस्पेक्टर - जब तक वह व्यक्ति ट्रेस नहीं होता कैसे बंद होगा।

रिपोर्टर - तब सर क्या करें। डर लगता है कि वह व्यक्ति मेरे अकाउंट से कोई गलत काम कर दिया तो?

इंस्पेक्टर - तब देखा जाएगा कि क्या हो सकता है आपके मामले में।

रिपोर्टर - सर कुछ मदद कीजिए और कम से कम मुकदमा तो दर्ज कर लीजिए?

इंस्पेक्टर - अभी तो नहीं हो पाएगा क्योंकि विधान सभा चल रहा है। ख् दिसंबर के बाद आइएगा मैं आपकी शिकायत दर्ज कर लूंगा।

- जानिए कितना खतरनाक है साइबर क्राइम

साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे है। जब एसएसपी इसके शिकार हो सकते हैं तो आम आदमी की क्या बात करें। आपका अकांउट हैक कर कोई साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने से लेकर अन्य बड़ी घटना कर सकता है। इसकी संवेदनशीलता को लेकर सरकार ने प्रदेश के सभी थानों में साइबर सेल खोलने का प्लान बनाया है लेकिन पुलिस आज भी गंभीर नहं है। एटीएम फ्राड और ऑन लाइन शापिंग से लेकर अन्य घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं लेकिन पुलिस इस आधुनिक क्राइम पर काबू पाने के लिए तेजी नहीं दिखा रही है।