-कम्युनिटी ऑप्थ्लमोलॉजि विभाग कर रहा सर्वे

-आईजीआईएमएस संग पायलेट प्रोजेक्ट पर चल रहा काम

PATNA: एम्स नई दिल्ली के कम्युनिटी ऑप्थ्लमोलॉजि विभाग इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर बिहार में सर्वे कर यह जान रहा है कि प्रदेश में आंख की रोशनी गायब होने का कारण क्या है। ऐसे लोगों की संख्या कारण और उपाय पर भी पायलट प्रोजेक्ट के तहत विस्तृत सर्वेक्षण का काम चल रहा है।

एचओडी खुद करा रहे सर्वेक्षण

रविवार को पटना के संजीवनी आई हॉस्पीटल एवं रिसर्च इन्सटिच्यूट में आयोजित सीएमई में एम्स नई दि?ी के कम्युनिटी ऑप्थ्लमोलॉजि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। प्रवीण वश्षि्ठ ने बताया कि उनके नेतृत्व में बिहार के दो जिलों (वैशाली एवं सीतामढी) में अंधापन के नियंत्रण के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वेक्षण के माध्यम से ये जाना जाएगा कि प्रदेश में अंधेपन का बड़ा कारण क्या है इसके निवारण के लिए क्या प्रयास किया जा सकता है।

पटना के कई डॉक्टर शामिल

सर्वे टीम में आइजीआइएमएस के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की डॉ। वर्षा सिंह एवं आइजीआइएमएस की डॉ। अनीता अम्बवषठ के साथ अन्य कई डॉक्टर शामिल हैं। टीम गांवों में जाकर ये जकेगी कि आंखों की सुरक्षा को लेकर क्या उपाय किया जाए। इसके लिए डॉक्टरों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

संजीवनी में दी गई ट्रेनिंग

आंखों की जांच के लिए रविवार को संजीवनी आई हॉस्पिटल एवं रिसर्च इंस्टीटयूट में प्रशिक्षण दिया गया। डॉ। प्रवीण वशिष्ठ ने सर्वे के लिए डॉक्टरों को आवश्यक टिप्स दिया है। उन्होंने अंधापन की परिभाषा, सर्वे की आवश्यकता एवं महत्व के साथ अन्य कई जानकारी दी है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह के सर्वे से बिहार की तस्वीर साफ होगी। आंकड़ा सामने आएगा जिससे अंधता के निदान पर बड़ी पहल हो सकेगी।

सरकार के पास नहीं है आंकड़ा

बिहार सरकार के पास अब तक अंधापन का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में ये सर्वे काफी अहम होगा। डॉ। वर्षा सिंह ने कहा कि सर्वे के परिणाम भविष्य में अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम को सुद्रृढ करने और बेहतर बनाने में मददगार होगा। दिल्ली से आई टीम में डॉ। प्रवीण, डॉ। मीनाक्षी, डॉ। श्वेता, डॉ। रोहनी , अमित भारद्वाज शामिल हैं। सभी ने बताया कि ये एक भगीरथ प्रयास है। लोगों के जीवन में आंख का क्या महत्व है इसे हम सभी जानते हैं। रोशनी है तो सबकुछ है। इसलिए बिहार जैसे प्रदेश को चुना गया है। अभी यहां के दो जिलों में सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। इसके अध्ययन के आधार पर यह अनुमान लगाया जाएगा कि बिहार में आंखों को लेकर क्या परेशानी है।