PATNA: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी एनआईटी पटना देश भर के संस्थानों में अपनी बेहतर जगह हासिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। इस बावत उसके छात्र और पूर्ववर्ती छात्र का ब्योरा इसमें सहायक हो सकता है। इसलिए इन छात्रों से जानकारी जुटाकर रैंकिंग को बेहतर करने की कवायद हो रही है। अगर कोई छात्र एनआईटी पटना से स्टडी करने के बाद देश के किसी दूसरे राज्य में हॉयर एजुकेशन के लिए जाता है या फिर देश -विदेश की कंपनी में कार्यरत है तो उससे जानकारी के लिए आग्रह किया गया है। इसमें वह अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी देगा।

रैंकिंग सुधारने का प्रयास क्यों?

इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह है कि पहले ऑल इंडिया रैंकिंग के लिए कोई सरकारी मशीनरी या संस्था नहीं थी, लेकिन अब है। इसका नाम है नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ)। यह मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिर्सोस डेवलपमेंट के अंतर्गत कार्य करता है। इसमें देश भर के तकनीकी एवं रिसर्च संस्थानों की रैंकिंग की गई है। रैंकिंग सुधार का मकसद संस्थान में बेहतर सुविधाओं, रिसर्च वर्क और अधिक से अधिक पैरामीटर में खरे उतरने का प्रमाण है।

क्या है वर्तमान स्थिति

नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) की ओर से जारी ताजा आंकडे़ में एनआईटी, पटना की स्थिति ऑल इंडिया लेवल पर 87वां है। देश भर के एनआईटी में एनआईटी, तिरूचिरापल्ली, एनआईटी, मैंगलोर और एनआईटी, वारंगल का स्थान क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय है। एनआईटी, पटना का स्थान क्भ्वां हौ। जबकि सभी तकनीकी संस्थानों आईआईटी, मद्रास और आईआईटी, बाम्बे का स्थान क्रमश: प्रथम और द्वितीय है। एनआईटी में एनआइआरएफ के को-आर्डिनेटर प्रो। रमाकर झा का कहना है कि यह रैंकिंग हर साल होता है और इसके लिए अप्लाई करना होता है। यहां छात्रों का सहयोग लिया जा रहा है।

कई श्रेणियों में दी जाती है जानकारी

एनआइआरएफ में संस्थान की ओर से दी गई जानकारी को कई श्रेणियों में बताना होता है। मसलन, स्टूडेंट्स की संख्या, कितने छात्र, कितनी छात्राएं, कुल बजट और उसका यूटिलाइजेशन, छात्रों का इंटीलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट में योगदान, ग्रेजुएट, पीएचडी स्कॉलरों की संख्या, रिसर्च पेपर की संख्या, शिक्षक -छात्र अनुपात, सामाजिक -आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों की संख्या आदि मानकों पर संस्थान की रैंकिंग की जाती है।

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रैंकिंग का पारामीटर

- टीचिंग, लर्निग एंड रिर्सोस

- रिसर्च एंड प्रोफेसनल प्रैक्टिस

- ग्रेजुएशन आउटकम

- आउटकम और इनक्लूसिविटी

- परसेप्शन