पटना (ब्यूरो)। अखंड सुहाग की कामना के लिए आज सुहागिन महिलाएं भाद्रपद शुक्ल तृतीया में हरितालिका तीज व्रत करेंगी। सूर्योदय तृतीया तिथि में होने से पुरे दिन तीज की पूजा होगी। तपस्या की भांति किया जाने वाला यह व्रत सनातन धर्म की महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक एवं कुंवारी कन्याओं के भावी सुखी जीवन दांपत्य जीवन का आधार है। व्रती महिलाएं उपवास कर पुरे सोलह श्रृंगार करके मिट्टी के शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजा-अर्चना कर ब्राह्मण व पंडितो से पौराणिक कथा श्रवण करेंगी। बुधवार को सूर्योदय के बाद प्रसाद ग्रहण कर पारण करेंगी। व्रत के पारण से पहले अन्न, वस्त्र, ऋतुफल, दक्षिणा आदि का दान होगा।

तृतीया तिथि को लेकर संशय
आचार्य राकेश झा ने बताया कि हरितालिका व्रत में तृतीया तिथि को लेकर महिलाओं में संशय की स्थिति बनी हुई है। तृतीया तिथि कल सोमवार दोपहर 02.45 बजे से आरंभ होकर मंगलवार की मध्याह्न 02.40 बजे तक है। सूर्योदय तृतीया तिथि में होगा। इसीलिए उदयगामिनी तृतीया में पुरे दिन तीज की पूजा होगी। ग्रह-गोचरों का उत्तम संयोग भी बना है। हस्त नक्षत्र, शुभ योग, रवियोग,सिद्ध योग के साथ गर करण के होने से पुण्यप्रद योग बन रहा है। ऐसे पुण्यकारी योग में व्रत व शिव-पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि, निरोग काया एवं पति की चिरायु, यश-वैभव, कीर्ति के साथ सर्व मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है।

सहस्त्र अवश्मेध यज्ञ का पुण्य
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव स्वयं माता पार्वती से कहते है कि इस व्रत करने मात्र से व्रती महिला को सब प्रकार के सांसारिक भोग और सायुज्य मुक्ति मिल जाती है। इस पुनीत व्रत के पौराणिक कथा का श्रवण करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ व सौकड़ों वाजपेय यज्ञ करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। हरितालिका व्रत करने से स्त्रियों के सभी पाप क्षय हो जाते है और उन्हें सात जन्म तक सुख व सौभाग्य मिलता है।

संतान की दीर्घायु हेतु चौरचन व्रत भी
ज्योतिषी झा ने बताया कि रात्रि बेला में चतुर्थी तिथि विद्यमान होने से मिथिलांचल के प्रसिद्ध पर्व चौरचन व्रत भी आज ही मनाया जाएगा। मंगलवार शाम श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतूफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करेंगे। चंद्रदेव की पूजा एवं अघ्र्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीर्घायु होने का वरदान मिलता है। मान्यता है कि आज के दिन चन्द्रमा के दर्शन मात्र से अपयश व कलंक का दोष लगता है। आज ही के दिन भगवान गणेश ने चंद्रदेव को श्रापमुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे ।

तीज पूजा का शुभ मुहूर्त

चर योग-प्रात: 08.40 बजे से 10.15 बजे तक
लाभ योग-सुबह 10.15 बजे से 11.50 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त-दोपहर 11.25 बजे से 12.15 बजे तक
अमृत योग-दोपहर 11.50 बजे से 01.25 बजे तक
शुभ योग-मध्याह्न 02.59 बजे से शाम 04.35 बजे तक
प्रदोष काल- शाम 05.24 बजे से 06.55 बजे तक
रात्रि चौघडिय़ा मुहूर्त.रात्रि 07.35 बजे से 09.00 बजे तक