PATNA : परदेश कमाने गए तो लगा कि अब दिन बहुर जाएंगे और जीवन खुशहाल हो जाएगा, लेकिन महानगर रास नहीं आया और वापस लौटे तो एचआईवी पाजेटिव लेकर। फिर क्या था। देखते ही देखते सारा सपना चकनाचूर हो गया और अब कमाई कि कौन कहे जान बचाने की जुगत करनी पड़ रही है। ये हकीकत है उस नौजवान पीढ़ी की जो आर्थिक तंगी से उबरने के लिए दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगर गए और वहां से संक्रमण लेकर आए। फिर संख्या एक से दो और दो से चार होती चली गई। एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ पटना में चार हजार से अधिक ऐसे परिवार हैं जो बाहर से संक्रमण लेकर आए हैं।

- धन गया, तन भी गया

पटना नेटवर्क फॉर पीपुल लिविंग विद एचआईवी एडस सोसायटी पीडि़तों की काउंसलिंग और उपचार के लिए काम करती है। संस्था की मानें तो काउंसलिंग के दौरान पीडि़त परिवारों ने बताया कि बीमारी तब घर आई जब दो जून की रोटी के लिए परदेश गए घर के युवा वहां से लौटे। लेकिन जानकारी तब हुई जब लंबे समय तक बुखार रहने लगा और हालत बिगड़ने लगी। अब तो सबकुछ लुट गया है। हालत यह है कि एचआईवी संक्रमित परिवारों में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में अंतर म्0: ब्0 तक पहुंच गया है।

- पटना सदर सबसे आगे

पीएनपी संस्था का कहना है कि पटना जिले में सबसे अधिक संक्रमण पटना सदर में हैं। इसके अलावा नेपाल सीमा से भी अधिक संख्या में युवा बाहर जाते हैं। इसमें भोजपुर, बक्सर के साथ नेपाल सीमा के अन्य जिले हैं जहां के लोग संक्रमण के जाल में हैं। संस्था की मानें तो ये डाटा उनके वालंटियरों ने जुटाया है जबकि प्रदेश के सभी जिलों में एआरटी सेंटर है और वहां भी संक्रमित लोगों की संख्या अधिक है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो हर साल ख्भ् प्रतिशत के हिसाब से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की बढ़ोतरी हो रही है।

बिहार में क्,ख्7,000 संक्रमित

बिहार में पिछले दस साल में एड्स पीडि़त महिला रोगियों की संख्या क्भ् से ख्0 प्रतिशत से बढ़कर ब्0 प्रतिशत हो चुकी है। इस तथ्य का खुलासा पहल के हेल्थ डायरेक्टर और एड्स रोग विशेषज्ञ डॉ दिवाकर तेजस्वी ने किया। बिहार में एक अनुमान के मुताबिक करीब क्,ख्7,000 एचआईवी संक्रमित हैं जिनमें से मात्र म्7 हजार ही चिन्हित किए गए हैं।

एचआइवी मुक्त नवजात होंगे यदि

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय ने कहा कि यदि किसी दम्पत्ति को एड्स है तो भी उसके नवजात को इससे बचाया जा सकता है। बशर्ते कि गर्भवती महिलाए एआरटी दवाईयों का सेवन कर रही हों एवं डॉक्टर की देखभाल में डिलेवरी हो। इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ हिमांशु राय ने बताया कि एचआइवी से संक्रमित दम्पत्ति यदि बांझपन के शिकार हैं तो उन्हें भी एचआइवी मुक्त बच्चे हो सकते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ मनोज कुमार ने बताया कि एड्स रोगियों की सर्जरी भी आसानी से हो सकती है।

सबसे अधिक एचआईवी संक्रमण गैर प्रांत कमाने के लिए गए लोगों में है। तेजी से ये आंकड़ा बढ़ रहा है। हम इस पर अंकुश लगाने के लिए काउंसलिंग करते हैं और लोगों को जागरुकता के लिए प्रयास करते हैं।

- कुंदन कुमार, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर