पटना (ब्यूरो)। पटना संग्रहालय यानी जादू घर जिसे देखने और समझने के लिए पटना ही बल्कि देश-विदेश से भी पर्यटक आते है, लेकिन इस जादू घर के लिए दुआ कीजिए कि विरासत से भरे इस भवन में कभी आग न लगे। अगर लग गई तो इसका भी विश्वेसरैया भवन की तरह हाल हो जाएगा। आग लगने पर यहां भी बचाव का कोई इंतजाम नहीं है। महज दिखावे के लिए ही जगह-जगह अग्निशमन यंत्र टंगे हैं, लेकिन उनमें गैस ही नहीं है। पिछले आठ माह से अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हैं। इसके बावजूद न तो कला संस्कृति विभाग ध्यान दे रहा है और न ही पटना संग्रहालय प्रशासन। इसकी शिकायत पिछले कई दिनों से आ रही थी। इसके बाद हमारी टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि 19 मार्च 2022 को ही संग्रहालय परिसर में रखे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर कर गए हैं। पढि़ए रिपोर्ट

सोने और चांदी से लिखी पांडुलिपि भी जल कर हो जाएगी खाक

पटना संग्रहालय के शोध एवं प्रकाशन शाखा में रखे दुनिया की बहुमूल्य पांडुलिपियों में से एक सुवर्ण प्रभाष सूत्र सोने और चांदी की स्याही से लिखी लिखी हुई हैैं। इसके अलावा राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाई गईं दस हजार दुर्लभ पांडुलिपियों सहित अन्य एतिहासिक धरोहरों में आग लगने की स्थिति में जल कर खाक हो सकती हैैं। क्योंकि आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन यंत्र में गैस ही नहीं है। यह पूरी तरह से एक्सपायर है।

बुद्ध का अस्थि कलश सहित कई धरोहरें हो सकतीे हैैं नष्ट

एक्सपर्ट की माने तो जहां ऐतिहासिक धरोहरें रखी जाती हैं वहां एक्टिव अग्निशमन यंत्र होना आवश्यक है। लेकिन पटना संग्रहालय की स्थिति ये है कि संग्रहालय में किसी कारण आग लग जाए तो कितने लोग झुलस जाएंगे इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि संग्रहालय में रखी बहुमूल्य धरोहरों को देखने के लिए पटना ही नहीं बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले कई बुद्धिस्ट भी आते हंै। संग्रहालय में रखे भगवान बुद्ध के अस्थि कलश को भी नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि आग लगने की स्थिति में संग्रहालय में रखे रेत और बाल्टी का इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन आग बुझाने की प्रॉपर ट्रेनिंग कर्मचारियों के पास नहीं है।

कला संस्कृति विभाग मौन

पटना संग्रहालय में अग्निशमन यंत्र एक्सपायर होने को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने कला संस्कृति विभाग के अधिकारियों से सवाल किया तो अधिकारियों ने गोल-मटोल जवाब दिए। मालूम हो कि कोरोना से पहले भी एक बार संग्रहालय के अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हुए थे जिसके बाद गैस चेंज किया गया था। अब आलम ये है कि आठ माह गुजरने के बाद भी विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।