क्कन्ञ्जहृन्: सरकार ने चार नये नगर निकायों को उत्क्रमित किया है, जबकि दो नई नगर पंचायतों का सृजन किया गया है। लेकिन उत्क्रमित और नव सृजित पंचायतों का सीमा क्षेत्र तय करने में जिलों की लापरवाही से जनसंख्या निर्धारण में दुविधा की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में नवगठित नगर निकायों का आरक्षण तय करने को लेकर सीमा क्षेत्र का पेच फंस गया है। महत्वपूर्ण यह है कि जिलों ने वार्डो का आरक्षण तय करने से संबंधित जो सिफारिश की वह भी आधा अधूरी है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों से भेजे गए प्रस्ताव को वापस कर दिया है। यही नहीं, वार्डो का सीमा क्षेत्र तय कर स्पष्ट प्रस्ताव देने का निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय है कि पटना जिले में नगर पंचायत बख्तियारपुर और फतुहा को उत्क्रमित कर नगर परिषद बनाया गया है। इसी तरह सारण जिले में छपरा नगर परिषद को उत्क्रमित कर नगर निगम बनाया गया है। शेखपुरा जिले की बरबीघा नगर पंचायत को उत्क्रमित कर नगर परिषद बनाया गया है। नालंदा जिले में नयी नगर पंचायत हरनौत का सृजन किया गया है। जबकि कटिहार जिले में नयी नगर पंचायत बारसोई बनायी गयी है।

क्या है मामला

नगर विकास एवं आवास विभाग ने जो अधिसूचना जारी की है उसमें वार्डो का सीमा क्षेत्र स्पष्ट नहीं है। ऐसे में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की जनसंख्या और मतदाताओं के आंकड़ों को लेकर जन प्रतिनिधियों की तमाम शिकायत है। लोगों ने नगर निकाय, डीएम कार्यालय से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग कार्यालय में भी आपत्तियां दी हैं। आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलों को स्पष्ट प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।

बक्सर जिले का भी लंबित है प्रस्ताव

उधर, बक्सर जिले के दोनों नगर निकायों का प्रस्ताव भी लंबित है। इसमें नगर परिषद बक्सर और डुमरांव शामिल हैं। दोनों नगर निकायों के वार्डो के आरक्षण प्रस्ताव पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे। ऐसे में आयोग ने सिफारिश पर विचार करने से इन्कार कर दिया है।