केस वन : रिफत बानो का ससुराल व मायका पटना में ही है। शादी के बाद रिफत बानो बहुत खुश थी। उसके पति उससे बहुत प्यार करते थे, पर दो साल के अंदर ही आपसी लड़ाई में रिफत के पति ने गुस्सा में तीन बार तलाक कह कर रिश्ते को खत्म कर दिया। पति ने बाद में दूसरी शादी कर ली और रिफत एक ऑफिस में काम कर अपना गुजारा कर रही है.

केस टू : जमीला खातून की जिंदगी भी शादी के बाद अच्छी चल रही थी। पर, बात-बात की लड़ाई में पति ने तीन बार तलाक-तलाक कह कर अपने रिलेशन को खत्म कर दिया। जमीला खातून अभी पांच बच्चे की मां है। उसके पति ने तो दूसरी शादी कर ली, पर जमीला एक-एक पैसे जोड़ कर अपने बच्चों को पाल रही है.

ऐसे केसेज की बढ़ी है संख्या
पति-पत्नी के बीच की आपसी लड़ाई तो हर घर में होती है, पर मुस्लिम सोसायटी के पुरुष वर्ग इसे हथियार के रूप में यूज करते हैं। ऐसा कहना है महिला आयोग की अध्यक्ष कहकशां परवीन का। वे बताती हैं कि लगभग हर मोहल्ले में ऐसी महिलाएं मिल जाएंगी, जिन्हें पति ने सिर्फ तीन बार तलाक कह कर रिलेशन खत्म कर लिया है। उन्होंने कहा कि आए दिन आयोग में इस तरह के केसेज आते रहते हैं, पर पर कुछ नहीं कर पाते। महिला हेल्प लाइन की प्रोजेक्ट ऑफिसर प्रमिला के अनुसार महीने दो महीने पर मुस्लिम महिलाओं की तलाक संबंधी केसेज हमारे पास आ ही जाते हैं.

17 से 19 तक मुंबई में है सम्मेलन
देश भर से ऐसी मुस्लिम महिलाओं को एक जगह इक_ किया जा रहा है, जो तलाक की शिकार हैं। इस संबंध में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की बिहार को-ऑर्डिनेटर अख्तर बेगम ने बताया कि मुंबई में लगभग 12 स्टेट की तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाएं जुटेंगी। इसमें बिहार से भी तीन महिलाएं रिफत बानो, सवाना आफरीन और डा। नसरीन बानो को बुलाया गया है.

ऐसे मिल जाता है तलाक
- छोटी से छोटी बात पर भी गुस्से में बोल देते हैं तलाक।
- किसी भी बात को लेकर इगो क्लैश करने पर।
- पत्नि ने अगर बात नहीं मानी, तो गुस्से में.

ऐसी स्थिति में नहीं होता है मान्य
- गुस्से में दे दिया गया तलाक
- शराब पीकर दिया गया तलाक
- पागलपन की स्थिति में दिया गया तलाक

तलाक देने की प्रॉसेस
- कोई भी विवाद होने पर पति सबसे पहले पत्नि को समझेगा.
- अगर पत्नी नहीं माने, तो उससे बात आदि बंद कर सकता है.
- इससे भी नहीं मानें, तो यह बात फैमिली के दो गार्जियन के पास जाएगी। फैमिली वाले लड़की को समझाएंगे.
- अगर इसके बाद भी पत्नी नहीं मानी, तो फैमिली की रजामंदी से एक बार उसे तलाक कहा जा सकता है। इसके साथ ही उसे मैक्सिमम तीन महीने का टाइम देना होगा। इन तीन महीनों में अगर पत्नी संभल जाए, तो पति एक गवाह के समाने उस तलाक को लौटा सकता है.
- अगर पत्नी फिर भी नहीं समझे, तो तीन महीने के बाद खुद-ब-खुद वह अपने पति से जुदा हो जाएगी। यानी मुस्लिम कानून में उसे अपने आप तलाक समझ लिया जाएगा.
बसी अहमद काशमी, डिप्टी काजी, इमारत-ए-शरिया, फुलवारीशरीफ