- कानून बनाने से पहले सीएम ने क्यों नहीं ली विधिक राय

- क्या जानबूझकर ऐसा कानून बनाया जो बाद में रद हो गया

PATNA : हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार की शराबबंदी को बड़ा झटका दिया है। लेकिन सरकार के पास भी नए कानून का विकल्प है जिसे आज लागू किया जाना है। और नया कानून तो इससे भी सख्त है। ऐसे में प्रदेश की शराबबंदी का क्या हश्र होगा इसे लेकर लोग चर्चा करने लगे हैं। दूसरी तरफ कानून पर ही सवाल खड़ा किया जा रहा है कि सरकार ऐसे कानून बनाती ही क्यों है जो असंवैधानिक हो। शराबबंदी कानून और हाईकोर्ट के फैसले को लेकर शनिवार को आई नेक्स्ट ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के साथ परिचर्चा की तो कानून को संवैधानिक बनाने की बात सामने आई। पेश है आई नेक्स्ट के संपादकीय प्रभारी अश्वनी पांडेय के संचालन में हुई परिचर्चा के मुख्य अंश।

शराब से सबसे अधिक नुकसान मध्यम वर्गीय परिवार को होता है। परिवार शराब के कारण पिस जाता है और सामाजिक रूप से भी काफी दिक्कत होती है। ऐसे में शराबबंदी कानून काफी अच्छा है। जहां तक कानून की बात है तो जब तक इसे कड़ा नहीं बनाया जाएगा लोगों में भय नहीं होगा। बिना भय के अंकुश लगाना मुश्किल है।

- कंचन सिंह, प्रदेश प्रवक्ता महिला मोर्चा, आरजेडी

शराबबंदी से गरीब परिवार के लोगों में खुशहाली आई है। ये बहुत ठीक है और इसे लागू किया जाना चाहिए। कानून में कहीं कोई दिक्कत है तो इसमें सुधार किया जाए लेकिन शराबबंदी होनी चाहिए। क्योंकि जहां परिवार बर्बाद हो रहे हैं वहीं युवक इसे फैशन के रूप में लेकर बर्बाद होते हैं। ऐसे में सीएम का फैसला ठीक।

- नंदा गर्ग, समाजसेवी

कानून बनाते समय दोनों पहलू को ध्यान में रखना चाहिए था जिससे ये संवैधानिक बनाया जा सके। अगर इस पर ध्यान दिया गया होता तो कोर्ट को ऐसा फैसला नहीं सुनाना पड़ता। कड़े कानून को लेकर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है लेकिन जो कानून फिर लागू कराने की तैयारी है वो और भी कड़ा है। ऐसे में शराबबंदी कब तक प्रभावी है ये बड़ा सवाल है।

- नंद किशोर ठाकुर, रिटायर्ड उपसमाहत्र्ता

सरकार ने जो शराबबंदी को लेकर संशोधन लाया वह असंवैधानिक है। इसे लेकर पहले ही मंथन किया गया होता और फिर संशोधन किया जाता तो आज ये दशा नहीं होती। न्यायालय को कड़े कानून पर आपत्ति थी और फिर कड़ा कानून ही लाया जा रहा है। लॉ कहता है कि दोषी को दंड मिले न कि उसके परिवार को। लेकिन शराबबंदी इस नियम को तोड़ रहा है।

- डॉ राजन कुमार सिन्हा, एडवोकेट, हाईकोर्ट

शराबबंदी लागू कराने के लिए हमारी संस्था बहुत दिनों से प्रयास कर रही थी, वह दिन नीतीश कुमार ने लाया भी लेकिन सब कुछ आनन फानन में कर दिया गया। इससे कहीं न कहीं से चूक हो गई। इसके पूर्व सरकार को पूरी तैयारी करना चाहिए था। जहां तक नियम और कानून की बात है तो पूरा सिस्टम डर से चल रहा है।

- तारकेश्वर नाथ दीक्षित, दिशा नशा विमुक्ति केंद्र

बिहार में शराब का विस्तार सीएम नीतीश कुमार की ही देन है। पहले तो प्रदेश में गली गली में शराब की दुकान खुलवा दिए और अब राजनीति के चक्कर में अचानक से पूर्ण बंदी करा दिए। उन्होंने सिस्टम से काम नहीं किया और न ही कानून बनाने में ही लोगों के हित का ध्यान दिया। ऐसे में उनकी इस नीति पर तरह तरह के सवाल खड़ा किए जा रहे हैं।

- महेश प्रसाद यादव, भाजपा मंडल अध्यक्ष

शराबबंदी से एक तरफ जहां इससे सामाजिक अपराध कम होने का दावा किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ इससे राजस्व पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। सरकार को आम जनता के बारे में भी सोचना चाहिए था जो शराब से कोई वास्ता नहीं रखती है। शराबबंदी से ऐसे लोग भी परेशान हुए हैं। सरकार को जनहित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए खासकर कानून बनाने के मामले में।

- विशाल गुप्ता, टीएसी मेंबर

शराबबंदी के बाद प्रदेश में टैक्स बढ़ा दिया गया। डीजल पेट्रोल ही नहीं दिनचर्या के सामानों का भी दाम बढ़ा दिया गया है। सरकार शराब से होने वाले नुकसान को ऐसे ही सामानों के दाम पर टैक्स बढ़ा कर वसूलेगी। जिसकी आदत है वह पिएगा, उसे जेल जाने का डर नहीं। जब तक लोगों को जागरुक नहीं किया जाता तब तक पूरी तरह से अंकुश नहीं लगेगा।

- गोपाल सिन्हा

शराबबंदी तो ठीक है लेकिन इसके लिए जो तरीका अपनाया गया वो गलत है। इस कारण ही हाईकोर्ट से भी सरकार को झटका लगा है। शराबबंदी से लोगों में काफी परिवर्तन हुआ है लेकिन यही इसके लिए प्लान तैयार कर किया गया होता तो बेहतर होता। लोगों में डर बहुत अधिक है। कानून को ऐसा बनाए जो संवैधानिक हो और आम लोग उसे स्वीकार कर सकें।

- नुसरत बानो, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

जब तक लोगों की मेंटेलिटी चेंज नहीं होगी तब तक शराब पीने वालों की संख्या कम नहीं होगी। बंदी के बाद भी लोग इसका सेवन कर रहे हैं। यदि लोगों को जागरुक किया जाए और इसके सहारे शराब पर अंकुश लगाया जाए तो काफी हद तक सफलता मिलेगी। सरकार को ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जो आम लोगों के लिए भी अच्छा हो। कानून से निर्दोष लोग प्रभावित नहीं हों।

- कामिनी, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

सरकार को ऐसा ही करना था तो पहले कारोबारियों को बता देते। पहले शराब बेचने के लिए लाइसेंस दिया गया। बाद में बंद कर दिया गया। एक तरफ कारोबारियों को बड़ा नुकसान हुआ है वहीं कानून के कारण लोगों को फर्जी तरीके से फंसाने का भी खतरा बढ़ा है। सरकार को विचार करना चाहिए और फिर संवैधानिक कानून लागू करना चाहिए।

- अनुराग, व्यवसायी

- परिचर्चा का अमृत

- शराबबंदी हो पर ऐसे कानून के सहारे नहीं जो असंवैधानिक हो

- कानून के टेक्निकल प्वाइंट को हटाया जाए फिर लागू कराया जाए

- शराबबंदी से प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है लेकिन सख्ती से नुकसान भी ।

- शराबबंदी में पकड़े गए लोगों को सरकार को छोड़ना चाहिए और केस खत्म करना चाहिए

- कानून ऐसा बनाया ही नहीं जाना चाहिए जिसे न्यायालय में चुनौती दी जाए

- शराब अचानक से नहीं छुड़ाई जा सकती है इसके लिए सरकार ने प्लानिंग नहीं की

- सरकार ने ही प्रदेश में शराब को बढ़ावा दिया था और आज बंदी पर जोर दे रहे हैं

- शराबबंदी से आम दिनचर्या के सामानों पर महंगाई आई है जिसका प्रभाव आम जनता पर है

- कानून को कड़ा बनाकर व्यक्ति के स्वतंत्रता का हनन किया गया

- सरकार नियम कानून बनाती है और न्यायालय ये देखता है कि संवैधानिक है कि नहीं

- कड़े कानून से न्यायालय को आपत्ति थी, फिर सरकार ला रही नया कानून