प्रिंस अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर
तीनों ने अपना बयान कबूल भी कर लिया है। हालांकि चौथा आरोपी प्रिंस अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पप्पू यादव की लाश दस जुलाई को मिली थी। शुक्रवार को एसएसपी अमृतराज ने बताया कि हत्या के बाद से इंवेस्टीगेशन में कई करीबियों पर शक था, जिसमें ये तीनों भी शामिल थे.

'गाड़ी में मारी गयी थी पप्पू को गोली'
एसएसपी ने बताया कि पप्पू यादव के लिकर बिजनेस का हिसाब रखने वाले कुणाल का रिलेटिव सोनू है, जो कई बार पप्पू के लिए ड्राइविंग का भी काम करता था। कई बार लांग डिस्टेंस के लिए सोनू को पप्पू ही ले जाते थे। घटना के दिन सोनू अपने तीनों दोस्तों के साथ पप्पू के घर आया था और बाद में उसके साथ सभी बाहर निकले। रास्ते में ही तेज म्यूजिक की आड़ में रोशन ने पप्पू को गोली मार दी और लाश दीघा में फेंक दी। इसके बाद सभी पप्पू के घर लौटे और वहां से आलमीरा खोलकर कैश निकाल लिया। इस दौरान पप्पू के नौकर बब्लू को भी मार दिया.

तीन लाख रुपए बरामद
एसएसपी ने बताया कि हत्या के बाद पप्पू के घर से सभी छह लाख रुपए लूटे थे। इसके अलावा रोशन ने पप्पू की लाश ठिकाने लगाने से पहले उसके सोने की चेन खींच ली थी। इसमें से 3,01,000 रुपए और सोने की चेन बरामद हो गयी है, जबकि रोशन ने अपने हिस्से से एक बाइक खरीद ली है, जिसका नंबर बीआर 01 बीएन 0324 है। एसएसपी ने बताया कि हत्या में शामिल रोशन का क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है। वह आम्र्स एक्ट और मारपीट के मामलों में पकड़ा गया है। इस हत्या के दौरान भी जब पुलिस ने रेड मारा, तो उससे एक दिन पहले ही वह अरेस्ट हो चुका था, फिर हमने उसे रिमांड पर लिया.

गुमराह करने की पूरी कोशिश
इंवेस्टीगेशन के दौरान आरोपियों ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की। हत्या के दिन ही उनलोगों ने इसमें इस्तेमाल होने वाली गाड़ी आरपीएस मोड़ के पास छोड़ दी थी, पर जब उन्हें लगने लगा कि शक की सुई उनके उपर घूम रही है, तो उन्होंने गुमराह करने के लिए एक फर्जी लेटर गाड़ी में डाल दिया.