-वनकर्मी रखते हैं जंगल पर कड़ी नजर

-बाघों की संख्या 40 होने का अनुमान, खुशी की लहर

PATNA: वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना ( वीटीआर) के जंगल में बाघों की संख्या ब्0 होने का अनुमान है। गिनती के लिए लगे कैमरा ट्रैप से चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं। बाघों के अधिवास क्षेत्र में वन विभाग की पैनी नजर है। सूचना है कि 800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले वीटीआर में कई बाघिन अपने शावकों के साथ भ्रमण कर रही है। इसकी तस्वीरें कैमरा ट्रैप में कैद हैं। नए मेहमानों के आगमन से महकमे में खुशी है।

घटते-बढ़ते आंकड़े

वर्ष ख्000-ख्00क् की गणना में बाघों की संख्या फ्0 से अधिक थी। वर्ष ख्00भ्-0म् की गणना में संख्या घटकर क्8 पर आ गई। जबकि, वर्ष ख्0क्0 की गणना में महज 8 के बचे होने की बात कही गई। वर्ष ख्0क्ब् में बाघों की संख्या 8 से बढ़कर ख्8 हो गई।

ख्ब् गुणा 7 फार्मूला कारगर

ख्ब् गुणा 7 फॉर्मूला लागू होने के बाद बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। रेंजर आर के सिन्हा ने बताया कि सप्ताह के सातों दिन ख्ब् घंटे बाघों की सुरक्षा विशेषज्ञों की निगरानी में जारी है। टाइगर टेकर सूर्योदय के साथ ही जंगल में प्रवेश कर जाते हैं। वे चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखते है। टेकर की ड्यूटी समाप्त होते ही जीपीएस सिस्टम से लैस पेट्रो¨लग पार्टी मोर्चा संभाल लेते हैं। इसके बाद शिकार निरोधक कैंप में कार्यरत वनकर्मी रातभर निगरानी करते हैं। वीटीआर में बाघों के धारियों के आधार पर गिनती कर डीएनए प्रोफाइल तैयार किया जाता है। जैसे -दो इंसानों के ¨फगर ¨प्रट एक नहीं हो सकते, ठीक उसी तरह दो बाघों के शरीर पर बनी धारियां एक जैसी नहीं हो सकती।

कैसे होती है गिनती : बाघों की आवाजाही वाले रास्तों के दोनों तरफ कैमरा ट्रैप लगा दिए जाते हैं। जब दोनों कैमरों के बीच से बाघ गुजरता है तो तस्वीर कैमरे में कैद हो जाती है। खसाकर जलस्त्रोतों के समीप कैमरे लगाए जाते हैं। माना जाता है कि बाघ पानी पीने के लिए यहां अवश्य जाते हैं। इस दौरान तस्वीरें कैमरे में कैद हो जाती हैं। इन तस्वीरों की वैज्ञानिक विधि से जांच कर वास्तविक संख्या पता लगाया जाता है।