पटना (ब्यूरो)। प्रदूषण का स्तर विंटर सीजन में काफी बढ़ गया है। इन दिनों लोग हॉलीडे मनाने के लिए पर्यटन स्थलों की ओर रूख करते हैं। लेकिन वहां पर भी प्रदूषण की मार साफ दिख रही है। पटना ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल भी है। यहां नए साल में लाखों लोग विजिट कर रहे हैं। घरेलू पर्यटकों के लिए यह जगह मुफीद है। संडे को लोग यहां कई दर्शनीय स्थलों का विजिट कर एंज्वाय करने के लिए पहुंचे थे। इन सभी जगहों पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर है। तारामंडल के पास यह 417 रिकार्ड किया गया। प्रदूषण सांसों पर भारी पड़ रहा है।

राजगीर पटना से भी प्रदूषित
रविवार को राजगीर पटना से भी अधिक प्रदूषित रहा। जहां पटना के तारामंडल में एक्यूआई 417 रिकार्ड किया गया, वहीं, राजगीर में यह 455 रिकार्ड किया गया। जानकारी हो कि इन दिनों सबसे अधिक पर्यटक राजगीर में आए हुए हैं। जो कि राजगीर में कुंड स्नान करने, शांति स्तूप, घोड़ा कटोरा, जरासंध गुफा, पांडव वाटिका आदि का भ्रमण करने के लिए आते हैं। लेकिन यहां भी प्रदूषण की मार साफ दिख रही है। इसी प्रकार, पटना सिटी एरिया में भी डब्लूएचओ के मानक से करीब आठ गुना अधिक है। रविवार को पटना सिटी में एक्यूआई 390 आंका गया। ये आंकड़े दर्शा रहे हैं कि चाहे पटना हो या राजगीर- सभी पर्यटन स्थलों पर प्रदूषण का गहरा असर दिख रहा है।

तापमान में गिरावट भी एक कारण
यह प्राय: देखा गया है कि जब तापमान में ज्यादा गिरावट आती है तो प्रदूषण भी बढ़ जाता है। प्रदूषण के जानकार विशेषज्ञों का भी कहना है कि तापमान घटने के साथ ही वातावरण में प्रदूषण बिखरने और फैलने की बजाय जहां से उत्पन्न होते हैं, वहां पर काफी देर तक मौजूद रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि ताजी हवा की कमी हो जाती है। जबकि इसके ठीक उलट गर्मी के दिनों में तापमान अधिक होने और हवा में भी गति होने के कारण प्रदूषक तत्व तेजी से फैल जाते हैं और ताजी हवा भी हर जगह आती रहती है। रविवार को पटना का न्यूनतम तापमान 9.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

पार्टिकुलेट मैटर है कारण
आखिर क्या कारण है कि पर्यटन स्थलों पर हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट दिख रही है। इस बारे में एनआईटी पटना के प्रोफेसर डॉ। एनएस मौर्या, सिविल डिपार्टमेंट ने बताया कि जहां उद्योग -धंधे बहुत नहीं हैं, वहां पर पार्टिकुलेट मैटर का खास स्थान होता है। जैसे - पटना और अन्य वे जगहें जहां पर इंडस्ट्री प्रमुख रूप से नहीं है। धूलकणों से भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो सकती है।

गया भी प्रदूषण की चपेट में
रविवार को गया में एक्यूआई 465 रिकार्ड किया गया जो कि बेहद खतरनाक स्तर है। जानकारी हो कि अभी गया में भी हजारों की संख्या में देश-विदेश से बौध भिक्षु आए हुए है और अभी पर्यटन का यह खास समय है। लेकिन यहां पर भी हवा गुणवत्ता में बेहद चिंताजनक है। इसी प्रकार, पटना सिटी में हाल ही में संपन्न हुए प्रकाश पर्व के दौरान भी यहंा पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब रही। रविवार को पटना सिटी में यह 390 रिकार्ड किया गया।

बच्चों पर ज्यादा असर
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ। शंभू कुमार ने बताया कि ठंड में जहां बच्चों को अनिवार्य रूप से कवर करके रखना चाहिए। वहंी, इन दिनों जो बच्चे देखे जा रहे हैं ,उनमें खांसी की समस्या बहुत हावी दिखती है। इसका कारण वातावरण में हवा की गुणवत्ता का बेहद खराब होना है। यदि आवश्यक न हो तो बच्चे को बहुत भीड़ -भाड़ वाले जगह जहां प्रदूषण अधिक हो, वहां नहीं ले जाना चाहिए।