- लंबे इलाज की वजह से दवाओं का बड़ा खर्च वहन करते हैं पेशेंट

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प्रदेश के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और एम्स जैसी एडवांस मेडिकल केयर देने वाले संस्थान आईजीआईएमएस में दवा की उपलब्धता की एक अलग ही स्थिति है। यहां आने वाले मरीज किसी न किसी जटिल बीमारी का इलाज कराने आते हैं। इसमें अधिकांश केस रेफर किए गए होते हैं या कई जगहों से इलाज में विफल होने के बाद यहां आते हैं। लेकिन दवा की व्यवस्था हॉस्पिटल के स्तर पर नहीं होने से यहां इलाज कराना पेशेंट को भारी पड़ रहा है। दवाई के खर्च को लेकर परेशान घूमते पेशेंट यहां अक्सर नजर आ जाते हैं। बता दें कि यहां मरीजों को दवाएं या तो प्रधान मंत्री जन औषधि केन्द्र से या प्राइवेट मेडिकल स्टोर से लेनी पड़ती है। प्रधान मंत्री जन औषधि केन्द्र में उन्हें अंकित मूल्य पर कुछ छूट मिलती है। वहां न मिलने की स्थिति में बाहर की दुकान पर दवा की पूरी कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे में इलाज महंगा होने लगता है।

नि:शुल्क सुविधा नहीं

आईजीआईएमएस के हर विभाग में बेहतरीन डॉक्टर उपलब्ध हैं। यहां समुचित इलाज हो जाना ही बड़ी बात है। लेकिन इसके साथ दवाओं की समस्या का हल पूरी तरह से नहीं हो पाया है। कुल मिलाकर नि:शुल्क दवाओं की सुविधा यहां नहीं है। यहां पूरे प्रदेश से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्ट, पेट संबंधी बीमारियों, आंख की बीमारियों और तमाम जटिल बीमारियों का उपचार किया जाता है। यहां वर्ष 2019 में ओपीडी में आठ लाख 94 हजार 902 और इंडोर में दो लाख 16 हजार 938 पेशेंट रजिस्टर किए गए।

लंबे समय तक इलाज की मुसीबत

यहां आने वाले पेशेंट की मानें तो यहां दवाओं के लिए नि:शुल्क व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि कैंसर, हार्ट और ऐसी ही बीमारियों का इलाज लंबे समय तक चलता है। इसकारण उनका दवाओं पर खर्च अधिक होता है और यह लगातार बना रहता है। इसमें सुधार होना चाहिए।

केस वन

सिकंदर सिंह, उम्र 64

समस्तीपुर

विभाग - रेडिएशन ओंकोलाजी

समस्या- कैंसर

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सिकंदर सिंह को पित्त का कैंसर है। इन्हें यहां कई प्रकार की जांच लिखी गई और कीमोथेरेपी की भी सलाह दी गई है। समस्तीपुर में भी दिखाया था लेकिन वहां उन्हें कैंसर होने का संदेह जताया गया था। जबकि यहां कैंसर बताया गया है। उन्हें दवाई के तौर पर तीन प्रकार की टैबलेट और एक कैप्सूल लिखी गई है।

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केस 2

प्रेमशीला देवी, उम्र 35 वर्ष

सहरसा

विभाग- रेडिएशन ओंकोलाजी

समस्या - स्तन कैंसर

अभी प्रेमशीला देवी को स्तन कैंसर की शुरूआत है और इसके इलाज पर इन्हें आईजीआईएमएस में करीब डेढ लाख रूपये खर्च आने का अनुमान डॉक्टरों ने दिया है। सितंबर माह से ही उनका यहां इलाज चल रहा है। आíथक रूप रूप से परिवार की हालत दयनीय है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने चार प्रकार की दवा लिखी है। इलाज लंबा चलने का अनुमान है।

केस -3

उमा देवी, 60 वर्ष

पटना

विभाग - आर्थोपेडिक

समस्या - पैर के घुटनों में दर्द

उमा देवी बीते चार-पांच साल से दोनों पैर के घुटनों के दर्द से परेशान है। उन्होंने इसे लेकर कई जगह इलाज कराया है। उन्हें दवा तो लिखी गई है। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि यहां नि:शुल्क दवा नहीं मिलती है। इसके बाद उन्होंने आईजीआईएमएस कैंपस में ही दवा दुकान से दवा ली।

आईजीआईएमएस में

ओपीडी पेशेंट रजिस्ट्रेशन - 894902

इंडोर पेशेंट रजिस्ट्रेशन - 216938