फाइलों में दर्ज लेकिन नहीं चलता पता
कुछ अफवाहें हमेशा उड़ती हैं, ससुराल वालों ने लड़की को मार दिया, भाई ने अपनी बहन को मार दिया, प्रेमी को उठा लिया गया कोई पता नहीं चल रहा। घर से निकलते ही गायब हो गया, स्कूल के दौरान गायब बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल पाया। इस तरह के तमाम मामले थानों की फाइलों में दर्ज तो होते हैं, पर कुछ महीनों या फिर सालों बाद उसका कोई अता-पता नहीं चलता।
ऐसे ही 'दफना' दिए
फैमिली मेंबर्स पुलिस से बस सवाल पर सवाल करते रहते हैं, पर कुछ होता नहीं है। अफसोस लोग उन अपनों को ढूंढऩे के लिए लावारिस लाश के पास नहीं जाते, जो ऐसे ही 'दफना' दिए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि लावारिस लाश की शिनाख्त के लिए प्रचार-प्रसार होनी चाहिए। जब कोई न आए, तब जाकर उस लाश को खत्म करवा देना चाहिए, पर ऐसा होता नहीं है। थानों की फाइल से मिली रिपोर्ट के हिसाब से सिर्फ कोतवाली थाना के पास 41 लावारिस लाशें आईं, जिनकी पहचान नहीं हो पायी। हालांकि इसके लिए पुलिस महकमा ने क्या किया, यह एक बड़ा सवाल है। न्यूज पेपर से लेकर टेलीविजन तक पर इसका प्रचार नहीं हो पाता है। लिहाजा वारिस के साथ जीवन जीने वालों की मौत लावारिस घोषित कर हटवा दिया जाता है। ऐसे भी थाने से लेकर पोस्टमार्टम रूम तक में लाश को रखने की ऐसी कोई व्यवस्था तक उपलब्ध नहीं है।
पटना जंक्शन पर सबसे अधिक लाशें
इन दिनों पटना जंक्शन के पास लावारिस लाश की संख्या 1670 के करीब पहुंच गई है। सोर्सेज की मानें, तो ऐसा अपराधियों की ओर से रेलवे का अधिक से अधिक यूज करने की वजह से होता है। कहीं भी मार कर रेलवे में डाल दिया। ऐसे भी लाश एक स्टेट से दूसरे स्टेट में प्रवेश करते ही फिर उसकी असलियत पहचान भी खत्म हो जाती है। यही हाल मुजफ्फरपुर जंक्शन का भी है। यहां पर अब तक 558 लावारिस लाशें आईं, जिसकी पहचान नहीं हो पायी और फिर उसे यूं ही हटवा दिया गया। रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन के पास भी डेडबॉडी के रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं है।
कोई इन्हें पहचानने वाला नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि लावारिस लाश की शिनाख्त को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई खास अरेंजमेंट नहीं किया जाता है और न ही उस लाश को लेकर पहचान की ही व्यवस्था होती है। लाश के मिलते ही पोस्टमार्टम और फिर उसका दाह संस्कार करवा दिया जाता है। नालंदा में अब तक 56, जहानाबाद में 18, किशनगंज में 18, जमुई में 19 और वेस्ट चंपारण में मिली 12 लावारिस लाशों का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। समाजसेवी गुड्डु बाबा कहते हैं कि लावारिस लाश को लेकर कहीं से भी प्रचार-प्रसार नहीं किया गया है।
इन-इन थानों में मिली डेडबॉडीज
राजीव नगर थाना -3
कंकड़बाग थाना- 15
सचिवालय थाना - 7
पत्रकार नगर थाना- 6
कोतवाली थाना - 41
बुद्धा कॉलोनी थाना - 8
श्रीकृष्णापुरी थाना - 2
दीघा थाना - 1
मालसलामी थाना- 3
अगमकुआं थाना - 10
बहादुर पुर थाना- 3
खाजेकलां थाना - 2
विक्रम थाना- 2
परसा बाजार - 1
पुनपुन थाना - 12
खगौल थाना - 7
फतुहा थाना- 12
दनियावां थाना- 2
दीदारगंज थाना - 7
शाहपुर थाना - 3
हाथीदह थाना - 1
नवगछिया थाना - 6
दाउद नगर - 7
यहां भी मिली हैं लाशें
नालंदा - 56
जहानाबाद - 18
जमुई - 19
वेस्ट चंपारण - 12
सिंहभूम चाईबासा - 27
पटना जंक्शन - 1670
मुजफ्फरपुर जंक्शन - 558
फरवरी 2013 तक रेल एसपी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हर स्टेट से मांगा हिसाब
लावारिस लाश को लेकर दायर एक पीआईएल पर पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी स्टेट को नोटिस जारी कर वहां के कानून की जानकारी मांगी है। यह नोटिस हर स्टेट के होम सेक्रेटरी, सेक्रेटरी ऑफ लेजिशलेशन और मिनिस्टर ऑफ रेलवे के सेक्रेटरी को दी गयी है। उल्लेखनीय है कि लावारिस लाश के नाम पर एक बड़ा खेल चल रहा है, जिस कारण हर स्टेट के थाने और जंक्शन पर लावारिस लाश की तादाद बढ़ती जा रही है। आरटीआई एक्सपर्ट विनोद चंद्र उर्फ गुड्डु बाबा ने मांग की है कि लावारिस लाशों का सेंट्रलाइज ऑफिस दिल्ली में हो, जहां डेडबॉडीज का पूरा डाटाबेस रहे। फैमिली मेंबर तक बात पहुंचे, इसके लिए प्रिंट मीडिया में ऐड करवाया जाए। लावारिस लाश का संस्कार सामाजिक प्रतिष्ठा और भारतीय रीति-रिवाज के साथ हो।
देश में कहां-कितनी लावारिश लाशें
नागपुर - 1201
सियालदह दमदम - 480
हावड़ा - 1067
आसनसोल - 624
रेलवे जीआरपी जयपुर - 215
बिलासपुर - 169
जीआरपी जोधपुर - 208
बड़ोदरा - 623
अंबाला कैंट हरियाणा - 1258
आंध्र प्रदेश - 2844
कर्नाटक - 317
नार्थ डिस्ट्रिक्ट सिविल लाइन दिल्ली - 1524
दरियागंज दिल्ली - 799
साउथ ईस्ट दिल्ली डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस - 319
मुंबई सेंट्रल - 1308
मुंबई रेलवे पुलिस कमिश्नर
2009 - 3706
2010 - 3710
2011 - 3458
2012 - 586
रेलवे पंजाब पटियाला - 1235
लखनऊ - 537
झारखंड धनबाद - 406
जमशेदपुर आरपीएफ - 455
इंदौर - 174
रायपुर - 318
Note: (ये तमाम डाटा आरटीआई के तहत मिला है। इसमें अधिकांश रेलवे स्टेशन या फिर लोकल थानों की है.)