PATNA: क्0 साल। ख्0ब्0 अप्लीकेशन। फ्07 यूनिट। ये है बिहार के उद्योग का हाल-ए-बयां। वो भी तब जब यहां की मिट्टी ने कई उद्योगपतियों को जन्म दिया। जिन्होंने अपनी जमीं को छोड़ दूसरे 'हाथों' को काम दिया। वजह साफ है। जमीन की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव और बिजनेस के लिए मुफीद वातावरण का नहीं मिलना। अब जबकि बिहार में नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी आ चुकी है। उसे लेकर भी उद्योगपतियों को उत्साह नहीं के बराबर है। कारण है कि अभी तक एसआइपीबी (स्टेट इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) की स्थिति ही स्पष्ट नहीं है। बात अगर पहले की एसआइपीबी की करें तो इसमें तस्वीर निराशाजनक ही दिखती है। यह सब उद्योग के संबंध में किए गए अध्ययन से यह साबित होता है।

विदेशों और बीस राज्यों से आए थे आवेदन

एसआइपीबी की रिपोर्ट बताती है कि सूबे में इंडस्ट्रियल यूनिट के लिए ख्0 राज्यों से आवेदन आए थे। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम और यूएसए से भी एक-एक आवेदन आए। इसमें बिहार के उद्योगपतियों ने ख्भ्9 यूनिटें स्थापित की जबकि अन्य ब्8 यूनिटें बाहर के उद्योगपतियों द्वारा लगाई गई। सबसे अधिक निवेश पावर सेक्टर और चीनी मिल लगाने के लिए आया था। जानकारों की मानें तो बीते दस साल के दौरान की इंडस्ट्री के लिए फ्लैक्सीबल पॉलिसी का अभाव, सस्ती जमीन मिलने की दिक्कत और सरकारी रवैये के कारण यह सफल निवेश के रूप में परिणत नहीं हो सका। इस आंकलन में बताया गया है कि फ्07 यूनिटों से निवेश की कुल वैल्यूएशन करीब फ्क्9 करोड़ रुपए आंकी गई है।

क्या है यह रिपोर्ट

वर्ष ख्00म् से जून, ख्0क्भ् तक की अवधि में कितने इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट के लिए आवेदन आए और उसमें कितना जमीनी तौर पर लग पाया, इसकी एक समीक्षात्मक अध्ययन है। यह अध्ययन सीनियर कंसल्टेंट एवं इंडस्ट्रियल अफेयर्स के एक्सपर्ट ई। कैलाश भावसिंगका ने तैयार किया है। इसमें कैपिटल, इनवेस्टमेंट और उससे रोजगार के अवसरों की स्थिति का ब्योरा है।

क्या होता है एसआइपीबी से

उद्योग विभाग के अंतर्गत यह एक बोर्ड है, जिसके माध्यम से राज्य में लगाए जाने वाले औद्योगिक इकाईयों को छूट एवं सहायता दी जाती है। इससे उद्योग लगाने वालों को सबसे बड़ी सहूलियतें मिल पाती है। लेकिन दस साल के दौरान उद्योग को प्रायोरिटी सेक्टर में नहीं रखने के कारण स्थिति अच्छी नहीं रही। निवेश के प्रस्ताव भी इसलिए अपेक्षित रूप से फलीभूत नहीं हो सका।

नई पॉलिसी में ली गई है सबक

वर्तमान इंडस्ट्रियल पॉलिसी में इस अध्ययन से कई बातें सकारात्मक तौर पर ली गई हैं। भावसिंगका ने कहा कि इस स्टडी के माध्यम से औद्योगिक वातावरण की समस्याओं और उसके लिए सकारात्मक रूप से रास्ता तैयार करने का प्रयास है। नई औद्योगिक नीति में इनोवेशन और स्टार्ट अप के माध्यम से राज्य को वैश्रि्वक प्रतिस्पद्र्धा के लिए तैयार करना है। साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ाने का प्रयास है। सबसे बड़ी बात है कि राज्य में औद्योगिक अनुसंधान, प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है। इसके माध्यम से मार्केट ओरिएंटेड इकोनामी के जरिये त्वरित विकास का लक्ष्य रखा गया है।