-बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में 40वें महाअधिवेशन का हुआ आयोजन

PATNA: महात्मा गांधी के दर्शन और साहित्य में भारतीय आत्मा की अभिव्यक्तिहोती है। विश्व मानवता के लिए गांधी के, सत्य के प्रयोग पर आधारित विचार, आज और भी अधिक प्रासंगिक है। यह विचार शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा को समर्पित बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 40वें महाधिवेशन में देश की इन दोनों विभूतियों को श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करते हुए विद्वानों ने व्यक्तकिए। इस अवसर पर महाधिवेशन की चीफ गेस्ट और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति मृदुला मिश्र मौजूद थी। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य की मूल्यवान सेवाओं के लिए बिहार की महान साहित्यिक विभूतियों के नाम से सम्मेलन द्वारा दिए जाने वाले अलंकरणों से 35 विदुषियों और विद्वानों को सम्मानित किया। इसके पूर्व सम्मेलन अध्यक्ष डॉ। अनिल सुलभ ने, न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र को सम्मेलन की उच्च मानद उपाधि विद्या-वारिधि प्रदान कर सम्मानित किया।

कोर्ट की भी भाषा बने हिन्दी

कुलपति मृदुला मिश्र ने कहा कि हिन्दी देश की राजभाषा के साथ ही न्यायपालिका की भी भाषा बननी चाहिए। हिन्दी से ही हिन्दुस्तानियों का भला हो सकता है। देश के न्यायालयों में 70 परसेंट जो मामले आते हैं, वे ग्रामीण-क्षेत्रों के होते हैं। वे अंग्रेज़ी नहीं जानते। उद्घाटन-सत्र की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि अपनी स्थापना के इस शती-वर्ष में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भारत की सरकार की भाषा शीघ्र घोषित हो। गेस्ट का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उपाध्यक्ष और स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ। कुमार अरुणोदय ने कहा कि हिन्दी को लेकर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन देश के कोने-कोने में लोगों को जगाएगा।

युद्ध का विकल्प युद्ध नही

प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक डॉ। रामजी सिंह ने कहा कि युद्ध का विकल्प युद्ध नहीं हो सकता। युद्ध का विकल्प शांति है, गांधी का मार्ग है। गांधी का दर्शन किसी को अव्यावहारिक लग सकता है, किंतु इससे व्यावहारिक मार्ग कुछ और नहीं हो सकता। कवि डॉ। विनय कुमार विष्णुपुरी, साहित्यकार कुमारी मेनका सहित अन्य मौजूद थे।