सिंगापुर मॉडल से बन सकती है बात

- सिंगापुर के पब्लिक यूटिलिटी बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर ने जल संरक्षण का दिया फंडा

PATNA :

पटना का जल संकट गहराता जा रहा है और इसमें पहल के लिए जो सुझाव हैं वह अब तक कमजोर ही साबित हुए हैं। एनआईटी में आयोजित कन्वेंशन में इस समस्या का समाधान सुझाते हुए सिंगापुर के पब्लिक यूटिलिटी बोर्ड (पीयूबी)के चेयरमैन रेयन यूएन ने बताया कि एक समय था जब सिंगापुर गंभीर जल संकट से जूझ रहा था और आज की स्थिति में यहां इतना पानी है जो कि मांग से बहुत अधिक है। उन्होंने बताया कि यहां पीयूबी वैसी ही बॉडी है जैसा कि यहां नगर निगम। लेकिन काम करने का तरीका स्पष्ट है और उसमें कोई कोताही या किसी को विशेष छूट जैसी कोई बात नहीं होती है। इसलिए आज पानी के मामले में सिंगापुर आत्मनिर्भर है। इस मॉडल को पटना भी एडाप्ट कर सकता है।

रीयूज और क्वालिटी मैनेजमेंट

रेयन ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से खास बातचीत में बताया कि हम पूरे देश में वाटर सप्लाई करने का जिम्मा उठाते हैं। जबकि शुरुआती दौर में यह काम बेहद कठिन था। मलेशिया से पानी खरीदना भी होता था। लेकिन वाटर सप्लाई करने की प्रमुख बातें बेहद स्पष्ट थीं। सप्लाई के दो बिंदु हैं जो इसके यूजेज से लेकर डिस्चार्ज तक की बात तय करते हैं। ये हैं - सोर्स और क्वालिटी। सिंगापुर में पानी की कमी और गंदे पानी की समस्या थी। इसके लिए सबसे अधिक गंदे पानी को अधिक से अधिक रीसाइकल किया गया। इसकी क्वालिटी को पीने लायक बनाया गया। साल दर साल इस प्रोसेस के चलने के बाद अब यहां जरुरत से अधिक पानी यूज के लिए है।

तो हो जाएगी जेल

रेयन ने आगे बताया कि सिंगापुर में वाटर क्राइसिस किसी नेशनल प्राब्लम की भांति थी जिसका समाधान हो गया है। आज इसका वर्किंग मॉडल दुनिया भर में सराहा गया है। उन्होंने बताया कि सोर्स और वाटर क्वालिटी के साथ ही इसके डिस्चार्ज के मामले में कठोर नीति अपनाई गई है। इसमे अंतर्गत यदि कोई इंडस्ट्रियल वेस्ट मनमाने तरीके से डिस्चार्ज करता है तो उसे पेनाल्टी और जेल भेजे जाने का भी प्रावधान है। इसलिए ऐसे केसेज नहीं के बराबर होते है। उन्होंने पटना का जिक्र करते हुए कहा कि राजधानी होने के नाते यहां प्रति व्यक्ति जनसंख्या घनत्व अधिक है और वाटर यूजेज भी। लेकिन यहां भी वाटर वाल्यूम के अधिक खपत की बताया इसके रीयूज पर ध्यान दें तो समाधान संभव होगा।

मिसमैनेजमेंट न कि स्कारसिटी

आइवा की ओर से एनआईटी में आयोजित कन्वेंशन में संस्था के ऑनरी डायरेक्टर डॉ डॉ एच हनुमंता चारी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरफेस वाटर पर्याप्त होने के बाद भी यहां जमकर ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल हो रहा है। इससे जहां वाटर लेवल नीचे जा रहा है तो इसे निकालने में भी परेशानी है। उन्होंने कहा कि बिहार सरफेस वाटर के मामले में बेहद धनी है। उदाहरण के लिए उत्तर बिहार में जो नेपाल की ओर से पानी आता है यदि उसे स्टोरेज कर सप्लाई का सिस्टम बनाया जाए तो यह स्थायी तौर पर कारगर होगा। यह सरफेस वाटर के बेहतर इस्तेमाल का भी एक मॉडल हो सकता है।

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सिंगापुर में आबादी के हिसाब से प्राकृतिक रुप से जल की उपलब्धता नहीं है। लेकिन क्वालिटी वाटर सप्लाई के लिए रीसाइकल वाटर और कडे़ डिस्चार्ज पॉलिसी से जल समस्या का समाधान अब अन्य देशों के लिए भी एक मॉडल है।

- रेयन यूएन, डिप्टी डायेक्टर, पीयूबी

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पटना के मामले में समस्या यह है कि यहां ग्राउंड वाटर का ज्यादा यूजेज है जबकि केवल सरफेस वाटर के बेहतर मैनेजमेंट से ही जल संकट से निपटा जा सकता है। यहां रेन वाटर का बेहतर संरक्षण भी कारगर उपाय होगा।

- डॉ एच हनुमंता चारी, ऑनरी डायरेक्टर, आइवा

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