-एनआईटी पटना में चल रहे तीन दिवसीय इंडियन वाटर व‌र्क्स का कन्वेंशन संपन्न, डिप्टी सीएम ने की शिरकत

-वेस्ट वाटर का रीयूज कर

इसे करना होगा संरक्षित : डिप्टी सीएम

PATNA: एनआईटी पटना में तीन दिनों से चल रहे नेशनल लेवल के कन्वेंशन का रविवार को समापन हो गया। इसमें इंजीनियरों, मैनेजरों और वाटर व‌र्क्स के एक्सपर्ट ने बताया कि जल संरक्षण के लिए मिलकर काम करना होगा, ताकि आने वाले समय में जनमानस को इस समस्या का सामना न करना पड़े। कन्वेंशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए डिप्टी

सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार जल्द ही ग्राउंड वाटर को सेव करने के लिए विधेयक लेकर आएगी, ताकि वाटर लेवल को मेनटेन रखा जा सके।

इससे पहले सभी का स्वागत एसोसिएशन के नए प्रेसिडेंट डॉ। दिनेश्वर प्रसाद सिंह ने किया। पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता भी उन्होंने की। जबकि एनआईटी, पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एनएस मौर्या ने कहा कि यह खुशी की बात है कि पहली बार यह आयोजन पटना में हो रहा है।

पानी फिर होगा काम लायक

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि आम तौर पर किचन, बाथरूम के पानी के प्रयोग के बाद कम से कम 75 प्रतिशत पानी ऐसा रह जाता है जो नालियों में बहकर बर्बाद हो जाता है। यदि इसका संरक्षण कर लिया जाए तो इसी पानी से पटवन, सफाई और अन्य काम के लिए प्रयोग किया जा सकता है। क्योंकि पानी किसी प्रयोगशाला या फैक्ट्री में नहीं बनाया जा सकता है।

गलत नीति से जल संकट

इस दौरान यह बात भी सामने निकलकर सामने आया कि गलत नीति के कारण ही देश के कई हिस्सों में संकट है। उदाहरण के लिए पंजाब में धान तथा दक्षिण के राज्यों में गन्ना की खेती को प्रोत्साहित किया गया। अब जल संकट है, क्योंकि वहां ग्राउंड वाटर का लेवल बहुत नीचे चला गया है।

सिंचाई में पानी का बेहतर प्रयोग ही समाधान

इस कार्यक्रम के दौरान एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एलपी राय व अन्य की ओर से प्रजेंटेशन दिया। इसमें 'असेसमेंट ऑफ ग्राउंड वाटर क्वालिटी फोर इरिगेशन परपस इन बादू- छंदन सब बेसिन इन बिहार' और 'सैलिनिटी एप्रेजल इन पालीगंज डिस्ट्री?यूटरी इन सोन कमांड एरिया' टॉपिक पर प्रजेंटेशन दिया।

एलबी राय ने बताया कि कृषि में इरीगेशन के लिए सबसे अधिक पानी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन शुरुआती पॉलिसी में तरीका गलत होने के कारण वाटर वेस्टेज हुआ। जैसे पहले घंटे के हिसाब से बिजली दिया जाता था। तब कितना पानी और उसका समुचित प्रयोग हुआ या नहीं, इस बात की परवाह नहीं की गई। इसके बाद एरिया के हिसाब से और पानी की मात्रा के खपत के आधार पर आंकलन किया जा रहा है। इसलिए इरिगेशन के लिए पानी का सही तरीके से प्रयोग ही बेहतर है।

बिहार के 90 फीसदी वार्डो में पहुंचा जल

इस समारोह के दौरान बिहार सरकार के पीएचईडी डिपार्टमेंट के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यहां हर घर जल योजना अभी तक पूरे बिहार में करीब 90 प्रतिशत वार्डो में पहुंच चुका है। जबकि आने वाले चंद महीनों में पूरे बिहार के हर घर में नल का जल पहुंच जाएगा। उन्होंने इंडियन वाटर व‌र्क्स के सदस्यों को कहा कि इस मामले पर भी क्षेत्र में जाकर रिसर्च करना चाहिए। इस मौके पर एनआईटी पटना के डांस क्लब और म्यूजिक क्लब के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जबकि कैंपस में ही मौजूद कोरियन समूह ने डांस के माध्यम से देश की संस्कृति को दिखाया।

जलजमाव की समस्या भी उठाई गई

शहर में जलजमाव के कारण जनजीवन बेहद अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए इंडियन वाटर व‌र्क्स ने अपने सुझाव में इस बात को शामिल किया है। इस बारे में एसोसिएशन के अध्यक्ष डीपी सिंह ने बताया कि इसके साथ ही शहरों में वाटर सप्लाई सिस्टम के बेंचमार्किंग का तरीका भी बड़ा महत्वपूर्ण है। इसके अलावा इस संगठन के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सभी स्टेकहोल्डर को एक मंच पर लाकर समस्याओं का समाधान करना है।