-राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने उठाया सवाल

-भारत में जर्मनी के कॉन्सुलेट जनरल मिस्टर ओलाफ इवर्सेन्ट थे मौजूद

PATNA : बिहार ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहांकला-प्रतिभाएं हैं। मशहूर संगीतकार और गायक हैं। कलाकार हैं। फिल्म-निर्माता और निर्देशक हैं। भारतीय फिल्म उद्योग के हर प्रक्षेत्र में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पूरा देश बिहारी फिल्मी प्रतिभाओं का कायल रहा है। फिर बिहार में फिल्म-उद्योग का विकास क्यों नहीं हो सकता? यह कहा राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने। वे स्थानीय अधिवेशन भवन में आयोजित 'प्रथम बिहार अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव' के समापन-समारोह में बतौर मुख्य अतिथि थे।

एक-दूसरे से जोड़ती हैं फिल्में

कहा कि सिनेमा-जगत में बिहार का इतिहास भी रेखांकित करने योग्य रहा है। विश्व प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित फिल्म 'गांधी' की अधिकांश शूटिंग बिहार में ही हुई थी। उस फिल्म में पटना रंगमंच के दर्जनों कलाकारों ने अभिनय किया था। फिल्म को 'ऑस्कर अवार्ड' से नवाजा गया था। देवानन्द अभिनीत फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' का एक मशहूर गाना जो हेमा मालिनी और देवानंद पर फिल्माया गया था, बिहार के राजगीर में 'शूट' किया गया था। सत्यजीत राय द्वारा निर्देशित फिल्म 'अभिजान' की शूटिंग भी ऐतिहासिक पटना कॉलेज परिसर में हुई थी। कहा कि सिनेमा वह सशक्त माध्यम है, जो हमें न केवल मनोरंजित करता है, बल्कि कुछ ऐसे विषयों पर सोचने को विवश भी करता है, जो व्यापक रूप से सामाजिक और राष्ट्रीय हितों से जुड़े होते हैं।

समाज की दर्पण हैं फिल्में

न्यायाधीश समरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि फिल्में समाज का दर्पण होती हैं और इनके जरिए विभिन्न देशों के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं। कार्यक्रम में उपस्थित भारत में जर्मनी के कॉन्सुलेट जनरल मिस्टर ओलाफ इवर्सेन्ट ने उम्मीद जाहिर की कि आगे भी फिल्मों के जरिये भारत और विशेष कर बिहार के साथ जर्मनी के सांस्कृतिक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। कार्यक्रम में स्वागत-भाषण बिहार फिल्म डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक गंगा प्रसाद ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अर्चना रानी ने किया। राज्यपाल ने 'जर्मन लेंगवेज सेंटर' और 'बिहार और फिल्म' से जुड़े विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया।