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PATNA : अब पुलिस खुद शराब 'पी' जाएगी और ऐसा नहीं करेगी तो नौकरी पर बन जाएगी। क्योंकि एक साथ क्क् थानेदारों पर कार्रवाई से पुलिस महकमे में खलबली है। ये वो थानेदार रहे हैं जिनके क्षेत्र में शराबबंदी के बाद से अधिक शराब बरामद हुई थी। आरोप है कि वे भी इस अवैध कारोबार में संलिप्त रहे हैं। जबकि पुलिस एसोसिएशन का कहना है कि बिना जांच के कार्रवाई की गई है। ऐसे में अब पुलिस वाले शराब बरामद करने के बाद उसे पचा जाने के फंडे पर काम कर रहे हैं।

गले की फांस बना कानून

पुलिस के लिए शराबबंदी कानून गले की फांस बन गई है। क्योंकि अधिक से अधिक शराब बरामद करे तो भी कार्रवाई होगी और नहीं करें तो भी। यही कारण है कि ढाई सौ पुलिस वालों ने मुख्यालय को लिखित रूप से दिया है कि उन्हें जिम्मेदारी नहीं चाहिए। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि इसका रास्ता क्या है। दो तीन थाना प्रभारियों ने बताया कि अब तो शराब को इतना ही बरामद करो जितने में संलिप्तता का आरोप भी नहीं लगे और नौकरी भी चलती रहे.दूसरी तरफ बिहार पुलिस एसोसिएशन का कहना है कि शराबबंदी की नीति भी अजब गजब हो गई है। इसमें कार्रवाई करने वाला ही दोषी कहा जा रहा है। पुलिस शराबबंदी कानून का पालन कराने के साथ-साथ शराब बरामद करने में जुटी रही लेकिन उन्हें निलंबित कर दिया गया। ऐसे में न्याय कहां हो रहा है।

तो कैसे मिलती शराब

पुलिस एसोसिएशन ने जब सरकार पर दबाव बनाया तो डीजीपी पीके ठाकुर ने निलंबित थानेदारों को एसपी को आवेदन देने को कहा गया। थानेदारों ने आवेदन दे दिया है और अब इस पर जांच पड़ताल की जाएगी। एसोसिएशन का कहना है कि कार्रवाई से पहले ये जान लेना चाहिए था कि पुलिस वालों ने अपनी डयूटी निभाई है या फिर कारोबारियों का साथ दिया है। यदि कार्रवाई में संलिप्त ही होते तो शराब बरामद कहां से होती।

कार्रवाई के बाद से बरामदगी घटी

एकसाथ क्क् थानेदारों पर कार्रवाई किए जाने के बाद अब शराब की बरामदगी का आंकड़ा पहले से काफी घट गया है। क्योंकिकार्रवाई से पूर्व जहां आए दिन बड़ी बरामदगी की सूचना आती थी वह अब इक्का-दुक्का हो गई है। इतना ही नहीं जहां बरामद शराब की मात्रा भी कम ही दिखती है। एक साथ भारी बरामदगी नहीं दिखाई जा रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि थानेदारों को अधिक शराब मिल भी रही है तो वह उसे पचा ले रहे हैं, क्योंकि अधिक बरामदगी करते ही वह संदेह के घेरे में आ जाएंगे।

कार्रवाई के लिए पैमाना तय करना होगा कि जिससे पुलिस वालों की संलिप्तता का पता चल सके। ऐसा नहीं हो कि कार्रवाई करने वाला ही दोषी मान लिया जाए। ऐसा होगा तो पुलिस शराब बरामद करने से ही कतराएगी। क्योंकि अधिक बरामदगी पर भी गाज गिर सकती है। डीजीपी से इस पर विचार करने की अपील की गई है।

- मृत्युंजय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार पुलिस एसोसिएशन