-युवा बोले, शिक्षा से स्वास्थ्य तक में बदलाव के लिए इच्छाशक्ति जरूरी

PATNA: सुबह की ताजगी और अंगड़ाई लेती फिजाओं में जब इंद्रपुरी में पहली चाय पर युवा पहुंचे तो सामाजिक, राजनीतिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर तीखे और कड़क मुद्दे छिड़ गए। इस दौरान जब बात चली स्वास्थ्य और शिक्षा की तो अंत में शहर की जटिल उन चुनौतियों पर जाकर ठहरी जिसके मामले में आज भी देशभर में बिहार की पुरानी छवि बरकरार है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट मिलेनियल्स स्पीक 2019 में यूथ ने अपनी-अपनी कड़क बातों को काफी मजबूती के साथ एक-दूसरे के सामने रखा।

बांटने की न करें कोशिश

राज्य और राष्ट्र के कई मुद्दों को लेकर युवा मुखर दिखे। वे अपनी शिक्षा को सिर्फ कमाई के स्तर तक सीमित न करते हुए समाज और देश की सेवा के साथ भी जोड़कर देख रहे हैं। रविवार को इंद्रपुरी के एक सभागार में सुबह की चाय पर इकट्ठा हुए युवाओं ने जब चर्चा शुरू की तो वे कश्मीर में धारा 370, रिजर्वेशन, राम मंदिर और जातिगत भावना को लेकर काफी चिंतित दिखे। युवाओं का कहना था कि राजनीतिक दल देश और समाज को विकास और रोजगार के पहले पायदान पर पहुंचाने के बजाय देश की संवेदनशील मुद्दों के सहारे जनता को बांटने में लगे हैं। सरकार को लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण के अलावा नई पीढ़ी के भविष्य के प्रति सतर्क होना होगा। साथ ही जनता के लिए भी उसके अधिकार के साथ-साथ कुछ स्थानों पर क‌र्त्तव्य बनाए गए हैं। हम किसी भी समस्या को एजेंडा बनाकर उसे दूर करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ें। हर जनता सहभागी बने और अखंड भारत का निर्माण करें।

मेरी बात

चर्चा में शत्रुघ्न प्रसाद करन ने कहा कि आज हम युवाओं ने देश और समाज के लिए सोचना और कुछ करना छोड़ दिया है। सरकारें कुछ ऐसी नीति लाए कि देश का हर वंदा यह सोचे और महसूस करे कि देश हमारा है। यह जरूरी नहीं कि हम सीमा पर जाकर ही देश की सेवा कर सकते हैं। अगर स्वच्छता मिशन को ही संकल्प बना लें तो देश को विश्व के उस शिखर पर पहुचा देंगे जहां विश्व का कोई दूसरा देश नहीं है।

कड़क बात

मिलेनियल्स स्पीक में सबसे कड़क बात राजनीतिक दलों के किसी भी मुद्दे पर जनता का आकर्षण भटकाने को लेकर रहा। युवाओं ने कहा कि हाल में देश का पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में देश के नेताओं की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। एक ही मुद्दे को कई दिनों तक देश में उछाला गया। जबकि इन्हीं मुद्दों में कुछ ऐसे भी थे जिसमें हमारे देश के सपूत आतंकी हमले में शहीद हो गए। लेकिन इस मुद्दे पर अधिकतर नेताओं ने संवेदना नहीं दिखाई।