ये था असली शौक
बचपन से ही वहीदा रहमान को डॉक्टर बनने का शौक था। इसके लिए वह हमेशा से प्रयत्नशील भी रहती थीं। इसके साथ ही उनको नृत्य का भी काफी शौक था। उनके इस शौक को उनके माता-पिता ने काफी सराहा और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। उनकी प्रेरणा से उन्होंने नृत्य को लेकर कई मंच प्रस्तुतियां भी दीं। इसके अलावा उनको इससे संबंधित और भी कई बड़े प्रस्ताव मिले, लेकिन उनके माता-पिता ने उनकी डॉक्टर बनने की ख्वाहिश और छोटी उम्र को भांपते हुए उन प्रस्तावों को कोई तवज्जोह नहीं दी।

ऐसी परिस्थितियां बनीं मजबूरी
कुछ ही समय बाद वहीदा के पिता का निधन हो गया। इसके बाद से वह और उनका परिवार आर्थिक संकटों से घिर गया। इन्हीं आर्थिक संकटों के चलते वहीदा ने फिल्म इंडस्ट्री का रुख कर लिया। 1955 में इन्हें दो तेलुगू फिल्मों में काम करने का मौका मिल गया। उसके बाद से इंडस्ट्री पर दौड़ पड़ी वहीदा रहमान की गाड़ी तेज रफ्तार के साथ।

कॅरियर की गाड़ी दौड़ पड़ी
इसके बाद बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक और एक्टर गुरुदत्त ने उनका स्क्रीन टेस्ट लिया। 1956 में उनको फिल्म 'सीआईडी' में काम करने को मौका मिला। फिल्म में उन्होंने खलनायिका का किरदार निभाया था। उसको भी दर्शकों ने काफी पसंद किया था। इंडस्ट्री में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए इनको 1972 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

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