लेकर आए थे कबाड़ा

ताजगंज एरिया के बल्देव नगर के रहने वाले छोटू और रामनिवास कबाड़े का काम करते थे। वे सिटी भर से कबाड़ा खरीदकर बेचा करते थे। थर्सडे को भी वे रोज की तरह ही कबाड़ा लेकर आए थे और उसे फिर से बचने के लिए तैयार कर रहे थे, इसी दौरान कबाड़े में धमाका हो गया। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आस-पास के 20 से 50 मीटर तक के मकानों की खिड़कियों के शीशे टूट गए।

तीन की मौत, तीन घायल

जब तक कोई कुछ समझ पाता तब तक छोटू और रामनिवास दम तोड़ चुके थे। इसके अलावा धमाके में हुई गंभीर रूप से घायल रामा देवी को पास के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। बाद में उपचार के दौरान उनकी भी मौत हो गई। इसके अलावा तीन और लोग घायल हैं। धमाके से पास बंधे कुछ जानवर भी मारे गए।

मोटार का सेल मिला

धमाके के बाद जब मौके पर पुलिस और बम डिस्पोजल दस्ता पहुंचा तो वहां पर एक मोटार का डिफयूज सेल भी मिला। यानि जो विस्फोट हुआ वो मोटार के सेल से ही माना जा रहा है। बता दें कि मोटार एक किस्म का बम है जो मिलिट्री यूज करती है। मिलिट्री अपनी रिहर्सल के दौरान टेस्ट करती है इसी दौरान कई फायर्स मिस भी हो जाते हैं। लेकिन इसके बाद मिलिट्री इस बात पर ध्यान नहीं देती कि वह मिस हुए फायर्स कहां गए।

ताजमहल से कुछ दूरी पर हुआ धमाका

यह धमाका होना और ज्यादा गंभीर है क्योंकि यह ताजमहल के पास हुआ है। जहां यह धमाका हुआ वो गोबर चौकी बल्देव नगर का एरिया है। ताजमहल यहां से महज चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। इसके पास सिटी का फेमस फाइव स्टार होटल्स भी स्थित हैं जहां विदेशियों का आना-जाना दिन रात लगा रहता है।

मिल्ट्री का था स्क्रैप

मिलिट्री स्क्रैप से धमाके का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई केस सिटी में हो चुके हैं। हर बार सवाल ये उठता है कि ये मिलिट्री का स्क्रैप सिविल लोगोंं के पास आया कैसे।

हो रहे हैं सेल

मिलिट्री का मोटार सेल कैसे पब्लिक तक पहुंचा इसके पीछे क्या कहानी है ये बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है। लेकिन, इस दौरान यह भी बात सामने आ रही है कि कहीं न कहीं मिलिट्री से स्क्रैप चोरी-छिपे सेल किया जा रहा है।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

गोबर चौकी के पास ही 2007 में ऐसा ही मोटार के सेल में विस्फोट हुआ था, उस समय भी दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

2004 -05 में भी नाले में सेना का ग्रेनाइड आ गया था इसको खेलने वाले बच्चे निकाल लाए थे। जब उसको ठोका गया तो उसमें विस्फोट हो गया। उस समय तीन लोगों की जान चली गई थी जिसमें दो बच्चे थे।

17 सितंबर 2011 को हाइवे पर स्थित जय हॉस्पिटल में भी  विस्फोट हुआ था। जिसमें हॉस्पिटल स्टाफ सहित कई लोग घायल हुए थे।

उसके कुछ दिन बाद टेढ़ी बगिया के पास विशाल ढाबे पर टाइम मिला था।

वे लोग स्क्रैप मार्निंग में लाए थे। लोहा और पीतल को अलग किया जा रहा था तब ये घटना हुई। इस मामले की जांच की जा रही है।

पवन कुमार, एसपी सिटी आगरा  

अगर ये स्क्रैप आयरन फैक्ट्री में भी हो सकता था। इसलिए इस बात की जांच कराई जाएगी कि ये मोटार स्क्रैप में कैसे आया। इसमें आर्मी से भी मदद ली जाएगी।

आशुतोष पांडे, आईजी आगरा

स्क्रैप का मोटार कहां से आया इसकी जांच की जा रही है। इसके अलावा और भी कबाडिय़ों की दुकानों पर चेकिंग कराने का अभियान चलाया जाएगा। इसके पीछे वजह यह है कि इस टाइप का स्क्रैप कबाडिय़ों के पास चोरी छिपे तो नहीं आ गया है। ये मोटार का सेल कहां से आया ये गंभीर और जांच का सब्जेक्ट है।

एससी दुबे, एसएसपी आगरा