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जीएसटी के सर्वर से लिंक हुआ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट

ऑडिट रिटर्न में मांगी जा रही छोटी-छोटी डिटेल, डाटा नहीं कर रहा है मैच

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: टैक्स आडिट रिटर्न फाइल करना प्रोफेशनल्स और बिजनेसमैन के लिए ऐसा चक्रव्यूह बन गया है, जिससे निकलने का रास्ता मिलना मुश्किल हो गया है। इसके चक्कर में डॉक्टर से लेकर वकील और सीए तक घनचक्कर बने हुए हैं। टैक्स ऑडिट रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट 30 सितंबर से बढ़ा कर 30 नवंबर कर दी गयी है, लेकिन टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रही है। डाटा में हेराफेरी भारी पड़ सकती है क्योंकि गवर्नमेंट ने इनकम टैक्स के सर्वर को जीएसटी के सर्वर से लिंक करा दिया है। सबसे बड़ी टेंशन यही है। इनकम टैक्स हेडक्वार्टर में बैठा कोई भी ऑफिसर किसी व्यापारी का बिजनेस रिटर्न और डिटेल देख सकता है। टैक्स ऑडिट करने वाले सीए भी टेंशन में हैं, क्योंकि रिपोर्ट में कोई भी गड़बड़ी हुई तो उन्हें ही जिम्मेदार माना जायेगा।

गड़बड़ी पर 1.5 लाख पेनाल्टी

खास बात यह है कि बिजनेस किया व्यापारियों और कारोबारियों ने, जीएसटीआर-1 और 3बी रिटर्न जमा किया एडवोकेट्स ने और आडिट रिपोर्ट फाइल करना है सीए को। ऑडिट में छोटी सी भी गल्ती हुई तो जिम्मेदारी सीए की होगी। सीए और व्यापारियों पर 1.5 लाख रुपये तक पेनाल्टी लग सकती है। गल्ती से बचने के लिए सीए सेल परचेज को पूरा मैच करा रहे हैं। जीएसटीआर-2ए में गड़बड़ी होने पर सीए को काफी दिक्कत हो रही है। जीएसटीआर-2ए को मैच कराए बगैर आडिट संभव नहीं है।

डाटा मैचिंग है जरूरी

व्यापारियों ने जो भी बिजनेस किया है, उसका सारा डाटा जीएसटी पोर्टल से मैच करना जरूरी है।

व्यापारी ने कितना आईटीसी लिया है? कितना टैक्स बना है?

कितना टैक्स जमा किया है? इन सभी डाटा को मैच कराना है।

इनकम टैक्स और जीएसटी सर्वर एक

कारोबार अच्छा चल रहा है। टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इनकम कम दिखाया है। ऐसे व्यापारी इनकम टैक्स और जीएसटी को सेंट्रल सर्वर के जरिये लिंक करा दिये जाने से ज्यादा टेंशन में हैं। इनकम टैक्स ऑफिसर अब किसी भी कारोबारी के जीएसटी की जानकारी सीधे हासिल कर सकते हैं।

एक क्लिक पर डिटेल

कारोबारी टैक्स का भुगतान जीएसटी पोर्टल पर आनलाइन करते हैं

इनकम टैक्स अफसर सर्वर पर जैसे ही संबंधित का पैन नंबर डालते हैं उनकी टैक्स डिटेल सामने आ जाती है

सेल और इनकम में डिफरेंस मिलने पर उन के खिलाफ एक्शन हो सकता है।

इसके चलते व्यापारी फार्म 9 और 9-सी भरने से कतरा रहे हैं।

इस फार्म में पूरी डिटेल देनी है।

जीएसटीआर-9सी को भरने के लिए बिजनेस का डाटा अलग-अलग तरीके से मांगा जा रहा है। व्यापारी ने जिससे माल खरीदा है, अगर उसका इनवायस नहीं दिख रहा है तो रिटर्न मैच नहीं हो रहा है। किसी व्यापारी ने आईजीएसटी की जगह सीजीएसटी में इंट्री कर दिया है तो रिटर्न फाइनल नहीं हो पा रहा है।

अमित अग्रवाल

सीए

जीएसटी के टैक्स आडिट को पांच करोड़ से उपर के व्यापारियों पर लागू किया जाना चाहिए। तभी छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी। टैक्स सलाहकार और प्रैक्टिसनर पर काम का बोझ कम होगा।

महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष, कैट

व्यापारियों को रिटर्न रिवाइज का मौका दिया जाना चाहिए। ताकि व्यापारियों से डाटा फीडिंग में कोई गड़बड़ी हुई है तो उसे ठीक किया जा सके।

विभु अग्रवाल

व्यापारी

कट ऑफ डेट की सभी कारोबारियों को जानकारी नहीं है। टैक्स आडिट के लिए परेशान होना पड़ रहा है। इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। नया नियम अव्यवहारिक है।

विनय टंडन

अध्यक्ष, इस्टर्न चैम्बर ऑफ कॉमर्स

इन्हें फाइल करना है रिटर्न

जिनका एनुअल टर्नओवर एक करोड़ से ज्यादा है

अनुमानित घोषित आय योजना के तहत कम रिटर्न घोषित करने वाले कारोबारी

दो करोड़ तक टर्न ओवर करने वाले व्यापारी जो सेल का 8 परसेंट से कम प्रॉफिट घोषित करते हैं

पेमेंट चेक से मिलने पर 6 परसेंट से कम लाभ घोषित करने वाले कारोबारी

50 परसेंट से कम शुद्ध आय घोषित करने वाले डॉक्टर, एडवोकेट, सीए, कंपनी सेक्रेटरी, इंजीनियर