ग्राहकों के हित में होगी

कैबिनेट के द्वारा एक नई पावर टैरिफ पॉलिसी को मंजूरी देने से कंज्यूमरर्स में खुशी का माहौल छा गया है। अब इस नई पॉवर पॉलिसी को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें कंज्यूमर्स के लिए कई सारे ऑप्शन खुले होंगे। अब कंज्यूमरर्स अपनी जरूरत के मुताबिक टैरिफ प्लान चुन सकेंगे। अब वे एक दिन में अलग-अलग वक्त के लिए अलग-अलग टैरिफ प्लान चुन सकेंगे। हालांकि इसके पीछे इसका मकसद ग्राहकों को सस्ती बिजली, स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देना, वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का बेहतर नियमन और निवेश में तेजी लाना है। नई नीति में न केवल तेजी से निवेश बढ़ाने पर खास ध्यान दिया गया है, बल्कि इसमें पर्यावरण को लेकर चिंताओं पर भी गौर किया गया है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा को भरपूर प्रोत्साहन दिया गया है। इसकी बदौलत नियामकीय व्यवस्था भी मजबूत होगी, ताकि डिस्कॉम और अधिक सक्षम हो सकें और ग्राहकों के प्रति जिम्मेदारियों को लेकर सावधानी बरतें।

स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान

स्वच्छ ऊर्जा पर जोर वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने बिजली कानून, 2003 के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय शुल्क नीति को मंजूरी दी थी। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में संकेत दिया था कि यह नीति स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान देने वाली होगी। उनका कहना है कि अब उनके सामने चुनौती 1.75 लाख मेगावॉट अक्षय ऊर्जा जाड़ने की है। वह शुल्क नीति में कुछ और ऐसे तत्व ला रहे हैं, जिससे अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा।" नई नीति से स्वच्छ भारत पहल को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसके तहत पावर प्लांट्स निगम द्वारा शोधित बेकार जल का इस्तेमाल कर सकेंगे। प्लांट 50 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध ऐसे पानी का इस्तेमाल कर सकेंगे।

इन पर होगी नजर

अब इस मौजूदा पावर प्लांट का विस्तार करके बिजली की लागत घटाना। इसके अलावा दूर दराज के गांवों में माइक्रो ग्रिड से बिजली पहुंचाना भी एक बड़ा लक्ष्य है। ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट बोलियों के जरिए विकसित होंगे, ताकि लागत घटे और कंन्यूमर्स को फायदा हो सके। स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली चोरी पर नजर रखी जाएगी। जिससे की धांधली न हो सके। सबसे खास बात तो यह है कि मार्च 2022 तक बिजली खपत का 8 फीसदी सौर उर्जा से बनाया जाएगा। इतना ही नहीं सोलर और विंड पावर के लिए राज्यों के बीच ट्रांसमिशन चार्ज नहीं लगाए जाएंगे। राज्यों को बिजली प्लांट लगाने की मंजूरी देकर 35 फिसदी बिजली डिस्कॉम खरीदेंगी। इसके अलावा एक राज्य कई राज्यों को 10 फीसदी से ज्यादा बिजली बेचता है तो टैरिफ केंद्रीय रेगुलेटर तय करेगा। ऐसे में साफ है कि यह उपभोक्ताओं के हित में उठाया गए बड़े कदम होंगे।

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