फिर फिसली जुबान
जीतन राम मांझी ने इस बार केंद्रीय मंत्रियों पर निशाना साधा है. मांझी ने कहा है कि जो केंद्रीय मंत्री राज्य की मदद नहीं करेंगे, उन्हें प्रदेश में घुसने नहीं देंगे. हालांकि इस बयान के पीछे राज्य विकास को लेकर उनकी मंशा साफ हो सकती है, लेकिन उन्होंने जिस तरह से यह बात कही वह विवादों में घिर गई है. गौरतलब है कि इससे पहले प्रदेश में अगड़ी जाति के लोगों को बाहरी बताकर जीतन राम ने विवाद खड़ा कर दिया था.

बेतिया में सभा के दौरान दिया था बयान
आपको बताते चलें कि पिछले दिनों बेतिया में आयोजित एक सभा में बिहार के सीएम ने कहा कि अगड़ी जाति के लोग विदेशी हैं और आर्यों की संतान हैं. जीतन राम ने कहा था कि इस देश के मूल निवासी दलित और आदिवासी वर्ग के लोग हैं. उन्होंने इस वर्ग के लोगों को राजनीतिक स्तर पर जागरुक एवं शिक्षित होने को कहा ताकि समाज का यह पिछड़ा वर्ग बिहार में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके.

मंदिर मुद्दे ने पकड़ा था तूल

जीतन राम मांझी का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है. इससे पहले मधुबनी में मांझी ने कहा था कि उन्हें एक मंदिर में अपमानित किया गया था, जब उनके मंदिर से आने के बाद उसे पवित्र करने के लिये धोया गया. हालांकि उस दौरान बीजेपी नेता ने कहा कि मांझी की यह बात सच साबित नहीं हो सकी थी क्योंकि उनके साथ मंदिर जाने वाले जदयू के दो मंत्री तथा कार्यक्रम के आयोजक जदयू नेता ने इस बात से इंकार कर दिया था. इस मामले को लेकर कुछ नेताओं ने मांझी पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप तक लगाया था. फिलहाल आपको बता दें कि इनमें से एक भी आरोप अभी तक साबित नहीं हो पाये हैं.

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