कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि में अधिकांश घरों में कलश या घट स्‍थापना की जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के साथ-साथ लगभग सभी धार्मिक कार्य में कलश की स्थापना होती है। मान्यता है कि कलश स्थापना करने से घर से नाकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कलश स्थापना से सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है।

कलश में देवों का वास होता
धार्मिक कार्यों में कलश को पूजा में देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि के प्रतीक के रूप में सम्मिलित किया जाता है। कलश हमेशा तांबे, मिट्टी व पीतल के बर्तन में रखना शुभ होता है। मान्यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी का वास, कंठ में शंकर जी का और मूल में ब्रह्मा जी का वास है। कलश के मध्य भाग में दैवीय मातृशक्तियाें का निवास होता है।

नारियल रखने का महत्व
कलश वाले बर्तन में, सुपारी, पुष्प, सूत, नारियल, अनाज, पान का पत्ता, आम्रपत्र, केसर, अक्षत, कुमकुम, दुर्वा-कुश आदि रखना शुभ माना जाता है। इसके पीछे माना जाता है कि घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। नारियल को भगवान गणेश का प्रतीक मानते हैं। नारियल का मुख साधक की ओर करके रखा जाता है। इससे पूर्णफल प्राप्त होता है।

स्वास्तिक व जल का महत्व
कलश वाले बर्तन पर रोली व सिंदूर से बनाते हैं। माना जाता है कि स्वास्तिक जीवन की चारों अवस्थाओं, जैसे बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक होता है। कलश में जल रखे जाने के पीछे माना जाता है कि साधक मन भी जल की तरह हमेशा ही स्वच्छ रहे। निर्मल और शीतल बना रहे। उसके अंदर क्रोध, लोभ, और घमण्ड की भावना न रहे।