द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : गोरखपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित चुरेब रेलवे स्टेशन पर 26 मई को हुए एक्सीडेंट की यादें वहां के निवासियों को सोने नहीं दे रहीं। गोरखधाम एक्सप्रेस और ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी की टक्कर से जो दर्द वहां की फिजा में बिखरा है, वो सालों तक लोगों को सालता रहेगा। दुर्घटना के चार दिन बाद आई नेक्स्ट टीम ने मौके पर पहुंचकर जो देखा, वो नजारा काफी शॉकिंग था। आई नेक्स्ट की इस लाइव रिपोर्ट के जरिए समझिए चुरेब की वर्तमान स्थिति को।

हर ओर बिखरा है मलबा

ट्रेन का मलबा अब तक उसी तरह बिखरा पड़ा हुआ है, टूटी-फूटी बोगियां, हवा में लटके कोच एक्सीडेंट की भयावहता खुद बयां कर रहे हैं। पटरी मजबूत लोहे को चीर कर अंदर घुस गई हैं। राहत के काम में लगे कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत के बावजूद अभी तक मलबा हटाया नहीं जा सकता है।

दबी हुई हैं कुछ लाशें!

घटनास्थल पर काम कर रहे रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों का मानना है कि मलबे के अंदर कुछ लाशें या मानव अंग दबे हुए हो सकते हैं। क्योंकि बोगियों से भयानक बदबू आ रही है। लोग मुंह पर रुमाल रख काम में लगे हुए हैं। हालत ये है कि राहत कार्य ठीक से और जल्दी हो सके, इसके लिए रेलवे प्रशासन फ्रैगरेंस स्प्रे कर बदबू दूर करने की कोशिश कर रहा है।

सोने नहीं देता वो खौफनाक मंजर

राहत और बचाव के काम में लगे करीब 1000 कर्मचारी पूरा दिन मलबा हटाने और ट्रैक को साफ करने में जुटे हुए हैं। जब उनसे आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने बताया कि रात में उन्हें नींद नहीं आती। जब भी रात के अंधेरों में पंखा बंद करते हैं तो खामोश माहौल में वहीं दर्दनाक मंजर आंखों के सामने से गुजर जाता है।

भूखे-प्यासे कैसे करेंगे काम?

आई नेक्स्ट टीम ने मौके पर चल रहे राहत कार्य का जायजा लिया तो पता चला कि रेलवे प्रशासन ने राहत कार्य?में लगे कर्मचारियों के खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं की है। कर्मचारियों की कर्मठता देखकर आस-पास के गांवों के लोग राशन मुहैया करा रहे हैं।

जो भी सुनता है, चौंक जाता है

चुरेब में गोरखधाम एक्सप्रेस के एक्सीडेंट के बाद यहां लोगों की भीड़ लगी हुई है। हादसे का खौफनाक मंजर अपनी आंखों से देख उनका कलेजा कांप जाता है। आस-पास के जिलों के लोग आकर बिखरे मलबे को देखकर हादसे का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों की मानें तो रेलवे ने कैजुअलटीज का जो आंकड़ा दिया है, वो हकीकत से कोसों दूर है।

ट्रेन हादसे के बारे में सुन कर दिल कांप गया। हादसे के चार दिन बीतने के बाद भी हालात देख कर साफ नजर आ रहा है कि कितना भीषण एक्सीडेंट रहा होगा। मैं करीब तीस किमी दूर मेंदावल से यहां हालात देखने आया हूं। मेरे अलावा सैकड़ों लोग दूर-दराज से पहुंच रहे हैं।

राम कुमार, निवासी, मेंदावल

हादसे के 13 मिनट बाद ही हमारे साथ सैकड़ों लोग ट्रेन में फंसे लोगों की मदद के लिए जुट गए थे। हमने मौत के उस मंजर को अपनी आंखों से देखा और महसूस किया है। हर घंटे बोगी से लाशें निकल रही थीं। लगातार तीन दिन तक लाशों के मिलने का सिलसिला जारी रहा। रेलवे डिपार्टमेंट जितनी मौत का दावा कर रहा है वह बिल्कुल गलत है। हादसे में उससे कहीं ज्यादा मौतें हुई हैं।

किशन तिवारी, स्थानीय नागरिक

मैंने अपनी लाइफ में कई ट्रेन हादसे देखे हैं, लेकिन चुरेब में जो नजारा देखा उसे देख कर तो शरीर और आत्मा दोनों कांप गए। चारों तरफ लाशें और खून से लथपथ घायलों को देखे हुए 50 घंटे से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन वो खौफनाक मंजर अभी भी आंखों में कैद है।

रूप चन्द्र, गैंगमैन

हादसे में बिखरी लाशों का मंजर देख कर अब तो रात में डर लगने लगा है। 55 घंटे से लगातार काम कर रहे हैं। यहीं पर दिन होता है और यहीं रात गुजरती है। मलबे से इस कदर दुर्गध आ रही है कि खड़ा होना भी मुश्किल है। दूसरी तक डिपार्टमेंट की तरफ से न खाने की व्यवस्था और न ही रात गुजारने की।

राजकुमार, गैंगमैन

चुरेब जैसे सुनसान इलाके में 55 घंटे से ज्यादा बीत चुके हैं। गोरखपुर के अलावा, लखनऊ, इलाहाबाद, बिहार। माधोपुर समेत कई जगहों के गैैंगमैन काम कर रहे हैं। रेलवे ने उनके खाने पीने की व्यवस्था नहीं की है। बुधवार को अस्थाई हैंडपंप लगाया गया है। गैंग मैन मजबूरी में सब्जी और अनाज खरीद कर खाना बना रहे हैं। जरूरत पड़ने पर आस-पास के लोग चूल्हा, अनाज उपलब्ध कराते हैं, जिसकी मदद से हम लोग पेट भर रहे हैं

महेश, गैंगमैन