नई दिल्ली (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट में एक गैंगस्टर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा 64 आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी एक शख्स को जमानत देने का खामियाजा आज उत्तर प्रदेश भुगत रहा है। यूपी के एक गैंगस्टर ने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मांगी, क्योंकि वह कई बीमारियों से पीड़ित है। इस दाैरान चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन ने गैंगस्टर की जमानत अर्जी खारिज करते हुए उसके वकील से कहा, आपका मुवक्किल एक खतरनाक आदमी है। हम उसे जमानत पर रिहा नहीं कर सकते। उसके खिलाफ एक पुलिस स्टेशन में 8 आपराधिक मामले हैं। ऐसे में आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति जेल से कैसे रिहा हो सकता है।

2 जुलाई को यह नरसंहार होने पर दुबे पैरोल पर बाहर था

इस दाैरान चीफ जस्टिस जस्टिस एस ए बोबड़े ने विकास दुबे मामले का हवाला देते हुए कहा कि देखें दुबे वाले मामले में क्या हुआ। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम को सूचित किया है कि विकास दुबे ने अपने गिरोह के 90 अपराधियों का इस्तेमाल कर कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी और फिर उनके शवों को क्षत-विक्षत कर दिया। विकास दुबे आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और 2 जुलाई को यह नरसंहार होने पर वह पैरोल पर बाहर था।

जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए उसे जमानत मिली

20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि यह स्वीकार किया जाता है कि विकास दुबे को उसके खिलाफ इतने मामलों के बावजूद जमानत पर रिहा कर दिया गया था। यह संस्था की विफलता को दर्शाता है कि जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए उसे जमानत मिली थी।पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम शामिल थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि प्रदेश में कानून का राज स्थापित करें।

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