वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई की पत्नी और पत्रकार सागरिका घोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेरिस में पहनी गई शॉल को प्रसिद्ध ब्रांड लुईस वुइत्तोन का बता दिया, और कहा कि वे अगर इंडियन हथकरघा का बुना शॉल पहनते तो बेहतर होता.


इसके बाद एक यूजर ने कंपनी के ट्विटर पेज पर इस संबंध में सवाल पूछे. कंपनी ने जैसे ही जवाब दिया कि उसने यह शॉल नहीं बनाई है, तो एक के बाद एक कई ट्वीट्स आने लगे. लोगों ने मीडिया को भी निशाने पर लिया और हैशटैग ‘प्रेस्टीट्यूट’ से ट्वीट्स करने लगे.

 


विवाद इतना बढ़ा कि अंत में सागरिका को माफी मांगनी पड़ी.


शॉल पर नमो लिखे होने की भी अफवाह
इतना ही नहीं बीच में ये भी अफवाह सामने आयी कि जिस तरह मोदी के सूट की स्ट्राइप्स पर उनके नाम की कढ़ाई की गयी थी वैसे ही इस शॉल पर भी उनके इनिशियल्स कढ़े हुए हैं. इस तरह की कुछ तस्वीरे भी रिलीज हुईं लेकिन ओरिजनल पिक्चर्स को जूम करके चेक किया गया तो बात झूठ साबित हुई और पता चला कि पेश की गयीं तस्वीरें फर्जी थीं और फोटोशॉप का कमाल थीं.

Modi Shawal in Paris

ओलांद को मोदी ने भेंट की ‘ट्री ऑफ लाइफ’ पेंटिंग
फ्रांस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद को ‘ट्री ऑफ लाइफ’ पेंटिंग बतौर उपहार भेंट की. यह पेंटिंग भारत में प्रकृति के प्रति पारंपरिक सामाजिक सम्मान को प्रदर्शित करती है. प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, ओडिशा के कालाकार भास्कर महापात्र ने रेशम पर रंगों का बेहद सुंदर तरीके से प्रयोग कर इस पेंटिंग को तैयार किया, जो इस कला का अभ्यास अपने परिवार के सदस्यों के साथ पिछले 30 साल से करते आ रहे हैं. वे रघुराजपुर स्थित धरोहर हथकरघा गांव से अपना काम करते हैं.

 

 

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