सवेरे साइकिल से

सुबह साढ़े छह बजे का समय था, डीआईजी के. सत्यनारायण अपने आवास से ट्रैक सूट पहनकर निकले. पीछे-पीछे उनका हमराह साइकिल लेकर आया. डीआईजी साइकिल पर सवार हुए और कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम की ओर निकल गए. डीआईजी रोजाना करीब एक घंटा साइकिल चलाते हैं और अन्य लोगों को भी साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करते हैं.

स्वास्थ्य के लिए बेहतर

डीआईजी मानते हैं कि स्वास्थ्य के लिए साइकिल चलाना बेहतर है. साइकिल चलाकर कई बीमारियों से बचा जा सकता है. साथ ही पाचन क्रिया अच्छी रहती है और पेट खराब होने से बच जाता है. साइकिल चलाने से शुगर भी कंट्रोल में रहेगी. ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहेगा.

हादसों पर अंकुश

उनका मानना है कि सबसे अधिक मौतें सड़क हादसों में होती हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल होते हैं. साइकिल का प्रयोग बढ़ेगा तो दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी. यही नहीं टू-व्हीलर की संख्या सिटी में काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे पार्किंग की समस्या विकराल हो गई है. अगर लोग साइकिल का प्रयोग करेंगे तो पार्किंग के साथ अन्य दिक्कतों का भी समाधान हो जाएगा.

जाम से छुटकारा

शहर की सबसे बड़ी समस्या जाम है. लोगों का वक्त जाम में फंसकर खराब हो जाता है. लोग साइकिल को अपनी पसंद बनाएंगे तो जाम से छुटकारा मिलेगा. समय भी खराब नहीं होगा. साथ में प्रदूषण भी कम होगा. साइकिल चलाने से एक्सरसाइज भी अच्छी होती है. पैडल पर पैर होने से शरीर के सभी अंग हरकत में आते हैं और एक्सरसाइज होती है. साइकिल चलाने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह का विकास होता है.

साइकिल से सफलता का सफर

'मैं बचपन से ही साइकिल का शौकीन हूं. जब मैं सातवीं क्लास में आया तो मुझे पेरेंट्स ने नई साइकिल दिलाई. कई बार साइकिल सीखते हुए चोट लगी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. धीरे-धीरे जब मैं अच्छी तरह साइकिल चलानी सीख गया तो मैनें साइकिल से स्कूल जाना शुरू किया. मेरा स्कूल घर से करीब 12 किलोमीटर दूर था. लगातार साइकिल चलाने से मुझे अच्छी फीलिंग होती. तब से मैने साइकिल को जीवन का हिस्सा बना लिया. सर्विस में आने के बाद भी मैैंने साइकिल चलाना नहीं छोड़ा. मैं आज भी चाहे आधा घंटा साइकिल चलाऊं, लेकिन चलाता जरुर हूं. साइकिल चलाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव भी नहीं होता.'

-के. सत्यनारायण, डीआईजी, मेरठ रेंज