शव को हटाने अथवा फ्रिजर में रखने के लिए नहीं हो रही है कोई पहल

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RANCHI (22 न्श्चह्म) : रिम्स के माच्र्युरी के बाहर पिछले एक महीने से एक लावारिस लाश पड़ा हुआ है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यूं तो लावारिस लाश को माच्र्युरी में रखने का प्रावधान है, पर यहां इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है। शव के बदबू से यहां के स्टाफ्स को काफी परेशानी हो रही है। इसी के पास में ग‌र्ल्स हॉस्टल भी है, लेकिन लावारिस शव को हटाने के लिए रिम्स प्रबंधन कोई पहल नहीं कर रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यहां माच्र्युरी किसके लिए बनाया गया है।

बदबू से परेशानी

लावारिस शव के क्षत-विक्षत हाल में पड़े रहने व इसकी बदबू से यहां स्टाफ्स के लिए काम करना मुश्किल हो रहा है। माच्र्युरी के बगल में ही पोस्टमार्टम हाउस भी है। यहां पोस्टमार्टम की ख्रातिर हर दिन दर्जनों शव लाए जाते हैं। ऐसे में ट्रॉली के साथ स्टाफ्स का दिनभर इस इलाके से आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, लावारिस लाश से निकल रही बदबू से उन्हें अपनी नाक बंद कर लेनी पड़ती है। वहीं, डेड बॉडी लेने के लिए आने वाले परिजन भी इस बदबू से काफी परेशान है। गौरतलब है कि पोस्टमार्टम हाउस के पास ही डेड बॉडी लेने आए परिजनों के बैठने की व्यवस्था है।

50 मीटर पर ग‌र्ल्स हास्टल

माच्र्युरी के ठीक बगल में रिम्स का ग‌र्ल्स हॉस्टल भी है। माच्र्युरी से इसकी दूरी मात्र 50 मीटर है, जहां रिम्स की सैकड़ों ग‌र्ल्स रहती है। दुर्गध के कारण ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को भी काफी परेशानी हो रही है। उन्हें भी अपने हास्टल में नाक बंद करके रहना पड़ रहा है।

54 बॉडी रखने की है जगह (बॉक्स)

माच्र्युरी में 54 शव रखने की जगह है। जिसमें पहले 24 शवों को रखा जाता था। लेकिन लावारिस लाशों की संख्या को देखते हुए प्रबंधन ने इसे बढ़ाकर 54 कर दिया। फ्रीजर में जगह होने के बावजूद शव को सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।

न्यू मा‌र्च्यरी बनकर है तैयार (बॉक्स)

रिम्स कैंपस में नया माच्र्युअरी भी बनकर तैयार है। आधुनिक सुविधाओं से लैस इस माच्र्युअरी को उद्घाटन का इंतजार है। इस माच्र्युअरी में शव को लंबे समय तक रखा जा सकेगा। वहीं बढ़ते लावारिस लाशों को रखने के लिए जगह की कमी नहीं होगी।

वर्जन

ऐसी कोई जानकारी मुझे नहीं मिली है। यहां जो भी शव लाए जाते है, उन्हें फ्रीजर में रखा जाता है। अगर शव को खुले में छोड़ दिया गया तो इस मामले को देखा जाएगा।

डॉ एसके चौधरी

एमएस, रिम्स