कानपुर। 24 दिसंबर 1924 में पंजाब के एक गांव कोटला सुल्तान सिंह में जन्मे रफ़ी का उपनाम फेको था। कहा जाता है कि उन्होंने अपने गांव में एक फकीर की नकल करके गाना शुरू किया था। मोहम्मद रफ़ी का पहला गीत एक पंजाबी फ़िल्म 'गुल बलोच' के लिए था जिसे उन्होंने श्याम सुंदर के संगीत निर्देशन में 1944 में गाया था।इसके बाद सन् 1946 में मोहम्मद रफ़ी बम्बई आये और संगीतकार नौशाद ने उन्हें 'पहले आप' नाम की फ़िल्म में गाने का मौका दिया।

death anniversary mohammed rafi: जाने उनके कुछ दर्द भरे गीतों के बारे में

कई भाषाओं में गाने गाये
मिडडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक रफ़ी ने करीब 19 भाषाओं, जिसमें इंग्लिश स्पैनिश और डच जैसी विदेशी भाषायें भी शामिल हैं, में अनगिनत गाने गाये हैं। उन्हें सबसे ज्यादा शोहरत मिली 1960 में फिल्म 'चौंदहवीं का चांद' में गाये गीत से, जो फिल्म का टाइटिल ट्रैक भी था। इसके लिए उन्हें अपना पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। उन्हें कुल छह फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। 1977 में उन्हें पहला नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला फिल्म 'हम किसी से कम नहीं' में उनके गीत "क्या हुआ तेरा वादा के लिए"। रफी हर अंदाज में गायकी के लिए जाने जाते हैं, पर उनके गाये सैड सांग्स फैंस को सबसे ज्यादा छूते हैं।

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मोहम्मद रफ़ी के कुछ फेमस दर्द भरे गाने
रफी के चाहने वालों का मानना था कि उनकी रेशमी आवाज में कुछ खास था कि गीतों में छुपा दर्द उनको अपने दिल से उठता महसूस होता था।
   1952 - ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले (फ़िल्म - बैजू बावरा)
   1957 - ये दुनिया अगर मिल भी जाए (फ़िल्म - प्यासा)
   1958 - हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले गए (फ़िल्म - काला पानी)
   1959 - देखी जमाने की यारी (फ़िल्म - कागज के फूल)
   1961 - कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया (फ़िल्म - हम दोनों)
   1964 - चाहूंगा मैं तुझे (फ़िल्म - दोस्ती)
   1965 -  दिन ढल जाए रात ना जाए (फ़िल्म - गाइड)
   1968 - दिल के झरोखे में (फ़िल्म - ब्रह्मचारी)
   1970 - ये दुनिया ये महफिल मेरे काम (फ़िल्म - हीर रांझा)
   1970 - खिलौना जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो (फ़िल्म -खिलौना)

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