नई दिल्ली (एएनआई)। उमर खालिद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता हैं। उमर खालिद को (UAPA) एक्‍ट के तहत दिल्‍ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। हालांकि कड़कड़डूमा कोर्ट ने 3 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमें 14 मार्च को आदेश सुनाया जाना था। लेकिन उमर खालिद के वकील द्वारा लिखित दलीलें न देने पर इसे टाल दिया गया था। जिसपर गुरुवार को एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

आरोपी के पिता एक पार्टी के हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कहा था कि साजिश के मामले में आरोपी के खिलाफ कई चैट और अन्य सबूत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ रिकॉर्डड ऑडियो भी है। साथ ही उन्होंने अमरावती में उमर खालिद के भाषण पर अदालत द्वारा पूछे गए प्रश्‍नों को भी प्रस्तुत किया था। उन्‍होनें बताया कि 11 फरवरी 2020 को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा कार्यक्रम की अनुमति को अस्वीकार कर दिया गया था। फिर 12 फरवरी को, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी द्वारा उमर खालिद को छोड़कर छह व्यक्तियों के खिलाफ एक आवेदन दायर किया गया।आरोपी के पिता एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। भाषण के लिए सिर्फ छह लोगों को ही अनुमति दी गई थी, इसके बावजूद उमर खालिद ने वहां जाकर 17 फरवरी को भाषण दिया। इस संबंध में आदेश का पालन नहीं करने पर एफआईर दर्ज की गई थी ।

उमर खालिद के एडवोकेट ने किया सपीपी का खंडन

सिनियर एडवोकेट त्रिदीप पेस ने एसपीपी का खंडन करते हुए कहा कि जो एफआईआर लिखी गई थी वो फर्जी थी । क्योंकि भाषण देने के अधिकार पर कोई नहीं रोक सकता है। साथ हिमहाराष्ट्र पुलिस के कानून में भी ऐसा कोई एक्‍ट नहीं है। उन्होंने बताया कि अमरावती मामले में दर्ज एफआईर में उमर खालिद का नाम आरोपी के रूप में नहीं लिया गया था। भाषण के बाद कुछ नहीं हुआ था। प्रोक्यूशन इसे आतंक का रूप नहीं कह सकता है। क्योंकि उसने वहां भाषण दिया था। प्रोक्यूशन यूएपीए का मजाक बना रहा है। साथ ही उन्‍होनें यह भी कहा कि जेएनयू मामले 2016 में दायर एफआईर में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' टिप्पणी में खालिद को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था। लेकिन इस बार प्रोक्यूशन ने इस बात के लिए भी उन्हें जिम्मेदार बताया है।

क्‍या है मामला

यह मामला दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश से जुड़ा है जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। तब दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा समेत लोगों के खिलाफ साजिश का मामला दर्ज किया था।

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