-सालों से अटकी तीन हाउसिंग स्कीम के बीच में आ रही जमीन देने को राजी हुए किसान

-सर्किल रेट से दोगुनी कीमत पर हुआ समझौता, ज्यादातर किसानों ने सौंपे सहमति पत्र

- ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने से बिल्डर्स, डेवलपर्स और भूमाफियाओं ने कदम पीछे खींचे

- किसानों को सर्किल रेट से तीन गुनी से भी ज्यादा कीमत का लालच देकर फंसा लेते थे जाल में

KANPUR: पुराने 500, 1000 रुपए के नोट बन्द करके ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने का असर नजर आने लगा है। जमीनों की मनमानी कीमतें गिरने लगी हैं। फिलहाल इसका सबसे बड़ा फायदा केडीए को मिला है। प्राइवेट जमीनों की वजह से वर्षो से फंसी 3 हाउसिंग स्कीम्स का रास्ता साफ हो गया है। ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने से दर्जनों किसान शासनादेश के मुताबिक, केडीए को जमीन बेचने को तैयार हो गए हैं। एक अन्य हाउसिंग स्कीम के बीच में आ रही जमीनों को लेकर किसान समझौता करने को लेकर केडीए पहुंच रहे हैं। इस सबका फायदा आने वाले समय आशियाने के रूप में कानपुराइट्स को मिलने वाला है।

लंबे समय से फंसी थी कई स्कीम्स

केडीए ने वर्ष 2007 में जवाहरपुरम हाउसिंग स्कीम लांच की थी, लेकिन बारासिरोही के कई किसानों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया। हाउसिंग स्कीम के बीच-बीच में प्राइवेट जमीनों के पॉकेट होने के कारण जवाहरपुरम योजना का एक बड़ा हिस्सा फंस गया था। बाद में नई जमीन अधिग्रहण नीति जारी होने पर प्राइवेट जमीनों का अधिग्रहण करना केडीए के लिए और भी मुश्किल हो गया। नई पॉलिसी के मुताबिक जमीन की दोगुनी कीमत चुकाने पर भी जमीन मालिक केडीए से समझौता करने को तैयार नहीं रहे थे। यही हाल अहिरवां में बसाई जारी हाईवे सिटी हाउसिंग स्कीम और सजारी स्थित हाईवे सिटी एक्सटेंशन में हुआ।

ऐसे फंसाते थे जाल में

केडीए के किसी एरिया में हाउसिंग स्कीम लाने पर इसका फायदा उठाने के लिए प्राइवेट बिल्डर्स, डेवलपर्स और भूमाफिया भी वहीं पर नजरें गड़ा देते हैं। खासतौर पर उन जमीनों को अधिक दामों पर किसानों से खरीद लेते थे जो कि केडीए की हाउसिंग स्कीम के बीच में आती थीं। इसमें वह धड़ल्ले से ब्लैक मनी का यूज करते थे। सर्किल रेट के मुताबिक जमीन की टोटल कीमत तो एक नम्बर से पेमेंट करते थे और बाकी ब्लैक मनी से चुकाते थे। किसान जमीनों की अधिक कीमत देखकर या तो बिल्डर, भूमाफिया के जाल में फंस जाते थे या फिर जमीन और अधिक कीमत मिलने के इंतजार में चुपचाप होकर बैठ जाते थे। वहीं बिल्डर का फायदा ये होता था कि उसे अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट के आसपास इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं करना पड़ता था।

शासनादेश के मुताबिक समझौता

इन्हीं सब वजहों से केडीए की जवाहरपुरम, हाईवे सिटी, हाईवे सिटी एक्सटेंशन आदि हाउसिंग स्कीम फंस गई थीं। बीच-बीच में प्राइवेट जमीनें आने की वजह से प्लॉट के साथ-साथ रोड, सीवेज, ड्रेनेज नेटवर्क तक बाधित हो रहा था। लंबे समय से केडीए अफसर शासनादेश के मुताबिक सर्किल रेट की दोगुनी कीमत पर जमीन मालिकों से समझौता करने की कोशिश में लगे हुए थे। बावजूद इसके जमीन मालिक तैयार नहीं हो रहे थे। इधर 8 नवंबर को ब्लैक मनी पर शिकंजा कसते हुए सेंट्रल गवर्नमेंट ने 1000, 500 (पुराने) रुपए के पुराने नोट बन्द कर दिए। जिससे जमीन के सौदों में ब्लैक मनी के रूप में दिए जाने वाले कैश, जिसमें ज्यादातर पुराने 500, 1000 रुपए के नोट होते थे, उनका लेनदेन भी बन्द हो गया। कुल मिलाकर जमीन के सौदों में ब्लैक मनी का इस्तेमाल बन्द हो गया।

अब केडी का ही सहारा बचा

बिल्डर, डेवलपर, भूमाफिया के हाथ खींचने से अब जमीन मालिकों के पास केडीए का ही सहारा रह गया। किसान केडीए अफसरों के पास पहुंचकर शासनादेश के मुताबिक सर्किल रेट के दोगुनी कीमत पर जमीन देने को सहमति पत्र दे रहे हैं। जिससें बारासिरोही के जमीन मालिको को 480 लाख रुपए और हाइवे सिटी व हाइवे सिटी एक्सटेंशन के किसानों को 390 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर (सर्किल रेट का दोगुना) पेमेंट होगा। केडीए अफसरों की मानें तो अभी तक जवाहरपुरम, हाईवे सिटी और हाईवे सिटी एक्सटेंशन के उन सभी किसानों ने सहमति पत्र दे दिए, जिनकी जमीन केडीए की हाउसिंग स्कीम के बीच में आ रही है। इससे उत्साहित केडीए अफसरों ने रामगंगा इंक्लेव सहित अन्य हाउसिंग स्कीम के बीच-बीच में आ रही जमीनों को लेकर किसानों से बातचीत शुरू कर दी है।

हाउसिंग स्कीम- जवाहरपुरम

ग्राम- बारासिरोही

सर्किल रेट- 240 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर

इनसे हुआ समझौता-सुमन, श्रवण सचान, अनिल सचान, धीरेन्द्र सचान, मंजू देवी, अवधेश कुमार, सुनीता व रेखा सचान, सुनीता कटियार, रामानुज कटियार आदि

हाउसिंग स्कीम- हाइवे सिटी

ग्राम- अहिरवां

सर्किल रेट- 195 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर

समझौता हुआ- सूरज प्रसाद, छोटेलाल, सोनेलाल, पवन कुमार, जनक दुलारी, बनवारी लाल, अनिल वर्मा, छविनाथ सिंह आदि

हाउसिंग स्कीम- हाईवे सिटी एक्सटेंशन

ग्राम- सजारी

सर्किल रेट- 240 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर

इनसे समझौता हुआ- जयराम सिंह, राकेश कुमार अग्रवाल