क्लेर कंट्री में रहने वाली लिंच फ़ैमिली को यकीन है कि उनका कुत्ता चार्ली उनकी बेटी ब्रियाना लिंच में आ रहे फ़र्क को दौरा पड़ने से 20 मिनट पहले समझ जाता है.

ब्रियाना को जन्म से ही मिर्गी की बीमारी है. इस बारे में तब पता चला था जब वो तीन महीने की थी.

उसके परिवार का कहना है कि चार्ली उन्हें चेतावनी देने के लिए ब्रियाना के चारों ओर चक्कर काटना शुरू कर देता है. वह प्यार से ब्रियाना को दीवार के साथ टिका देता है ताकि दौरा पड़ने पर वह गिर न जाए.

ब्रियाना की मां अराबेला स्कैनलेन का कहना है कि चार्ली "दौरे की चेतावनी देने वाला" प्रशिक्षित कुत्ता नहीं है. वह एक सामान्य पालतू कुत्ता है जिसने खुद ही यह ख़ास किस्म की विशेषता हासिल कर ली है.

स्कैनलेन कहती हैं कि उन्होंने कुछ समय पहले ही ध्यान दिया कि उनका ग्रेट डैन नस्ल का विशाल कुत्ता अचानक जिद पकड़कर ब्रियाना के चारों ओर चक्कर काटने लगा. कुछ ही मिनट बाद ब्रियाना को मिर्गी का दौरा पड़ गया.

डरावना

वह कहती हैं, "अगर आप किसी बच्चे को दौरा पड़ते हुए देखते हैं तो यह भयावह होता है, डरावना होता है, ख़राब होता है."

उनके अनुसार, "चार्ली को 15-20 मिनट पहले ही पता चल जाता है कि उसे दौरा पड़ने वाला है, वह चंचल हो जाता है और डर जाता है. इतना कि आपको लगने लगता है कि यह मूर्ख कुत्ता उसे टक्कर मार देगा."

शुरुआत में तो परिवार को लगा कि अपनी नन्ही सी बेटी की सुरक्षा के लिए उन्हें इस  कुत्ते को कहीं और भेजना होगा.

स्कैनलेन कहती हैं, "वह काफ़ी बड़ा है, वह फुर्तीला नहीं है. जब चार्ली घूमता है तो लगता है कि पूरा कमरा ही उसके साथ घूम गया है. लेकिन उसने कभी भी, एक बार भी, ब्रियाना को नहीं गिराया."

कुत्ता जो देता है मिर्गी की चेतावनी

वह कहती हैं कि हमने उस पर नज़र रखनी शुरू की और पाया कि अक्सर वह ब्रियाना के दौरे से पहले ही ज़िद करता है.

उन्होंने कहा, "एक बार मैं घर के बाहर थी और ब्रियाना एक ओर झुकी हुई थी. और चार्ली उसके ऊपर था. ब्रियाना को दौरा पड़ रहा था."

देखरेख

स्कैनलेन ने कहा, "वह दीवार की ओर झुकी हुई थी और वह उसके ऊपर झुका हुआ था. उसने मेरी ओर देखा जैसे कहना चाहता हो- मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं- लेकिन वह वहां से हिला नहीं, उसके साथ ही रहा."

स्कैनलेन कहती हैं उसके बाद से चार्ली मुश्किल से ही ब्रियाना से अलग होता है और अगर उसे लगता कि दौरा पड़ने वाला है तो वह प्यार से उसे दीवार के साथ टिका देता है. वह बच्ची की तब तक देखरेख करता है जब तक कोई मदद के लिए नहीं आ जाता.

"मैं इसके पीछे का मनोविज्ञान नहीं जानती लेकिन बेशक जब लोग उसे ऐसा करते देखते हैं तो वह मंत्रमुग्ध रह जाते हैं. आप उन दोनों को साथ देखेंगे तो आपका हृदय भी द्रवित हो जाएगा."

वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि कुछ कुत्तों को कैंसर को "सूंघने" का प्रशिक्षण दिया जा सकता है और मधुमेह के रोगियों में निम्न रक्तदाब का पता लगा सकते हैं. लेकिन आज तक इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि कुत्तों में मिर्गी के दौरे का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता होती है.

जन्मजात योग्यता

ब्रिटेन की धर्मार्थ संस्थाएं जैसे कि सपोर्ट डॉग और मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को प्रशिक्षित कुत्ते उपलब्ध करवाती हैं.

शेफ़ील्ड की धर्मार्थ संस्था सपोर्ट डॉग्स "दौरे की चेतावनी देने वाले कुत्ते" प्रशिक्षित करती है. इसके अनुसार ये कुत्ते दौरा पड़ने के 10-55 मिनट पहले तक चेतावनी दे सकते हैं.    

कुत्ता जो देता है मिर्गी की चेतावनी

मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स की मुख्य प्रबंधक डॉ क्लेर गेस्ट को जानवरों की गंभीर बीमारियों को पकड़ने की क्षमता का निजी अनुभव है.

वह कुत्तों को कैंसर को पहचानने की ट्रेनिंग दे रही थीं. वह कहती हैं कि उनमें से एक "मुझे चेतावनी देने लगा." उन्हें बाद में पता चला कि उन्हें शुरुआती स्तर का ब्रेस्ट ट्यूमर था.

डॉ गेस्ट कहती हैं यह स्थापित हो चुका है कि कुत्ते  कैंसर और मधुमेह के रोगियों में गंध में होने वाले बदलाव को सूंघ सकते हैं.

हालांकि वह कहती हैं कि लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कुछ कुत्ते कैसे मिर्गी के दौरे का पूर्वानुमान लगा सकते हैं.

शोध की जरूरत

वह कहती हैं कि ज़्यादातर वैज्ञानिक अध्ययन पालतू जानवरों के मालिकों की "कहानियों की ख़बरों" के बाद शुरू हुए हैं. लेकिन वह ये भी कहती हैं कि इस विषय पर भी और शोध की ज़रूरत है.

सीज़र, यूरोपीय जरनल ऑफ़ एपिलेप्सी में 2003 में प्रकाशित एक शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि "कुछ कुत्तों में दौरे की चेतावनी देने और उस पर प्रतिक्रिया करने की जन्मजात योग्यता होती है."

उस शोध में कहा गया था कि, "हालांकि दौरे की चेतावनी देने वाले कुत्ते की सफ़लता काफ़ी हद तक उसके मालिक की जागरुकता और कुत्ते के चेतावनी देने वाले बर्ताव पर प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है."

चार्ली और ब्रियाना की कहानी पहले एक स्थानीय अख़बार, दि क्लेर चैंपियन, में छपी थी.

लिंच परिवार लिमेरिक विश्वविद्यालय के अस्पताल के लिए एक नई इलेक्ट्रॉनसिफेलोग्राफ़ी (ईईजी) मशीन खरीदने के लिए अनुदान इकट्ठा कर रहा है, ताकि उनकी बेटी की बीमारी की स्थिति की पड़ताल हो सके.

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