डालर बनाम रुपया
1947 में 1 डालर = 1.00 रुपया
1966 में 1 डालर = 7.50 रुपये
1975 में 1 डालर = 8.40 रुपये
1984 में 1 डालर = 12.36 रुपये
1990 में 1 डालर = 17.50 रुपये
1991 में 1 डालर = 24.58 रुपये
1992 में 1 डालर = 28.97 रुपये
1995 में 1 डालर = 34.96 रुपये
2000 में 1 डालर = 46.78 रुपये
2001 में 1 डालर = 47.93 रुपये
2002 में 1 डालर = 48.98 रुपये
2003 में 1 डालर = 45.57 रुपये
2004 में 1 डालर = 43.84 रुपये
2005 में 1 डालर = 46.11 रुपये
2007 में 1 डालर = 44.25 रुपये
2008 में 1 डालर = 49.82 रुपये
2009 में 1 डालर = 46.29 रुपये
2010 में 1 डालर = 45.09 रुपये
2011 में 1 डालर = 51.10 रुपये
2012 में 1 डालर = 54.47 रुपये
जून 2013 में 1 डालर = 58.65 रुपये
क्या आप जानते हैं?
1990 से अब तक रुपये की वैल्यू करीब 202.43 परसेंट गिर चुकी है।
एक्सपोर्ट में होगा मुनाफा
रुपये की कमजोरी का फायदा पूर्वांचल के सिल्क, कारपेट और हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स को होगा। एक्सपोर्टर्स ने एक्सेपेक्ट किया है कि जिन्होंने भी ऑर्डर रिप्लेस कर दिये हैं या इनके ऑर्डर पाइप लाइन में है उन्हें अब मिलने वाले पेमेंट पर प्रॉफिट होगा। इसका फायदा इंडस्ट्री को भी है क्योंकि ग्लोबली देखा जाए तो अब इंडियन कारपेट, सिल्क मैटेरियल और हैंडीक्राफ्ट आइटम्स विदेशी बॉयर्स को सस्ते में मिलेंगे। इससे फ्यूचर में ऑर्डर मिलने की संभावना है। हालांकि इसका असर ये भी होगा कि आगे के ऑर्डर के लिए विदेशी बॉयर्स रेट में काम्प्रोमाइज करने के लिए मजबूर करेंगे और एक्सपोर्टर्स को फिर कोई खास फायदा नहीं रह जाएगा।
लांग टर्म में बनेगा मुसीबत
जहां एक्सपोर्टर्स के लिए रुपये का कमजोर पडऩा कुछ टाइम के लिए खुशी का सबब हो सकता है वहीं लांग टर्म में ये हर किसी के लिए मुसीबत लाने वाला साइन है। खुद एक्सपोर्टर्स भी मानते हैं कि रुपये का अप एंड डाउन होना और इसमें चल रहा फ्लक्चुएशन पूरे इंडियन इकॉनमी सहित इंडस्ट्रीज के लिए काफी डेंजरस है। इससे आम आदमी भी पिसेगा, क्योंकि रुपया कमजोर पडऩे के साथ सीधा इफेक्ट पेट्रोल-डीजल प्राइस पर आने वाला है जो महंगाई की आग और भड़का देगा।
जानकारी के लिए
अब तक की सबसे बुरी हालत में पहुंच चुका है रुपया। एक डॉलर की चीज खरीदने पर चुकाने होंगे करीब 59 रुपए।
जिन एक्सपोट्र्स के ऑर्डर पहले ओके हो चुके है और अभी तक पेमेंट नहीं मिला है। उन्हें अब पहले से ज्यादा दाम मिलेंगे।
पेट्रोल-डीजल, कम्प्यूटर पाट्र्स, इम्पोर्टेड लग्जरी आइटम्स भी महंगे हो जाएंगे।
पेट्रोल-डीजल की महंगाई पूरे मार्केट और बिजनेस पर असर डालेगी। इससे डेली यूज होने वाली खाद्यय सामग्र्री महंगी हो जाएगी।
इनका होगा नुक्सान
जो लोग दूसरे देशों से चीजें इंपोर्ट करते हैं, उन्हें नुकसान झेलना पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि है कि उन्हें बाहर से चीजें मंगवाने के लिए ज्यादा पे करना होगा। जैसे कम्प्यूटर पार्ट जो एक डॉलर का था, उसके लिए उन्हें 56 रुपये की जगह 58.39 रुपये देने होंगे। आम आदमी का नुकसान
फॉरेन से इंपोर्ट होने वाले क्रूड ऑयल, गोल्ड और इलेक्ट्रानिक गुड्स जैसे अन्य सभी चीजों अब महंगी पड़ेंगी। नतीजा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे। सोना भी महंगा होगा। ओवरऑल पूरे मार्केट में महंगाई की मार और तेज होगी। आम आदमी को ये सब झेलना पड़ेगा।
इनको होगा फायदा
एक्सपोर्टर्स: ये अब एक्सपोर्ट आइटम के लिए डॉलर कैश कराने पर ज्यादा वैल्यू पाएंगे। जैसे100 डॉलर के पेमेंट पर जहां उन्हें 5600 रुपये मिलने वाले थे, अब उसी डील पर उन्हें करीब 5900 रुपये मिलेंगे।
इंपोर्ट बिजनेस में बैंक्स मनी को कंवर्ट करते हैं। एक बड़ा फायदा बैंक को तब मिलता है जब एक्सचेंज रेट चेंज होता है। ये डॉलर को रुपये और रुपये को डॉलर में कनवर्ट करने में बड़ा मॉर्जिन निकाल लेते है.
एनआरआई की फैमिली: जिन फैमिली के लोग फॉरेन में जॉब करते हैं और डॉलर
में रुपये भेजते हैं, उनके घर वालों को अब फायदा होगा। पहले 100 डालर
भेजने पर उन्हें जितना मिलता था, अब उससे ज्यादा मिलेगा।
हकीकत तो ये है कि रुपया कमजोर होने से हमेशा नुकसान ही हुआ है। हां, इतना जरूर है कि कुछ टाइम के लिए जरूर लाभ होगा। लेकिन भविष्य में ये बड़ी परेशानी क्रीइट कर सकता है।
-नरीज अहमद, एक्सपोटर
सिटी में शू के अलावा इम्पोरियम इंडस्ट्रीज एक्पोट्र्स बिजनेस में डील करते है। ऐसे में इस खबर से इंडस्ट्री में डील करने वालो के चेहरे खिल उठे है।
-मो। रफीक, एक्सपोटर
रुपया कमजोर होने की वजह से एक्सपोट्र्स को बहुत फायदा होने वाला है। सिटी में लेदर का सबसे ज्यादा कारोबार होता है। इसलिए उन्हें सबसे ज्यादा फायदा होगा।
-मुईन बाबू जी, एक्सपोटर