-जानलेवा बीमारी से ज्यादा लोग दहशत से परेशान

-प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ी, रात में लग रही लाइन

ALLAHABAD: डेंगू का इलाज है, लेकिन दहशत लाइलाज है। एक बार दहशत की चपेट में आने के बाद पैसे और स्वास्थ्य दोनों से हाथ धोना पड़ सकता है। जानकारी के अभाव में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शहर के कुछ हॉस्पिटल्स इस दहशत का फायदा उठा रहे है। ब्लड बैंकों में अचानक प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को दहशत से बचाने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल्स को गाइड लाइन जारी करने जा रहा है।

हर फीवर डेंगू नहीं होता

बारिश के मौसम डेंगू फैलना आम बात है। नदियों से घिरे इलाहाबाद में इसकी अधिक पॉसिबिलिटी होती है। इस बार भी ऐसा हो रहा है। हॉस्पिटल्स में भर्ती मरीजों को डेंगू बताकर महंगा इलाज किया जा रहा है।

प्लेटलेट्स के लिए मारामारी

अधिकारिक तौर पर डेंगू का कोई भी केस सामने नहीं आया है, फिर भी अचानक प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है। प्राइवेट नर्सिग होम्स में भर्ती मरीजों को धड़ल्ले से प्लेटलेट्स चढ़ाए जा रहे हैं। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक समेत अन्य में रोजाना 70 से 80 यूनिट सप्लाई हो रही है।

अब तक भेजे गए सात सैंपल

स्वास्थ्य विभाग ने एक नहीं बल्कि सात मरीजों के सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजे हैं। इनमें एक मरीज शिवकुटी, दो हंडिया और एक मरीज नाजरेथ में एडमिट है। तीन अन्य हैं। सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। एक स्वाइन फ्लू का भी सैंपल भेजा गया था, वह भी निगेटिव आया है।

फैक्ट फाइल

डेंगू के लक्षण

-तेज बुखार, सिर समेत शरीर में बहुत तेज दर्द होता है, विशेषकर जोड़ों और अस्थियों में।

-हाथ-पैर में चकत्ते होना, खासकर दबे हुए हिस्से में, मतली और उल्टी होना।

क्यों चढ़ाई जाती है प्लेटलेट्स

डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। प्लेटलेट्स का काम बहते खून पर थक्का जमाना होता है जिससे ब्लीडिंग रुक जाए। प्लेटलेट्स की संख्या खून में 30 हजार से कम हो जाए, तो शरीर के किसी भी हिस्से से ब्लीडिंग होने लगती है। यही कारण है कि डॉक्टर प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने की सलाह देते हैं।

बचाव

-एडीज मच्छर को साफ पानी में पनपने से रोकने के लिए इसे एकत्रित न होने दें

-बच्चों सहित सभी को पूरा शरीर ढंकने वाले कपड़े पहनाएं।

-मच्छर नाशक स्प्रे या क्वाइल जलाएं या नीम की पत्तियों का धुआं करें

कैसे होती है एलाइजा जांच

एलाइजा विधि में एंटीजेन और एंटी बॉडी दो प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। ब्लड की जांच में डेंगू की पुष्टि हो जाती है। वहीं, प्राइवेट पैथोलॉजी में कार्ड रीडर जांच में केवल प्लेटलेट्स काउंट होता है जिससे डेंगू की पुष्टि नहीं की जा सकती।

-हर बुखार डेंगू फीवर नहीं होता। प्लेटलेट्स मलेरिया, सेप्टीसीमिया और वायरल फीवर की वजह से भी घट सकती हैं। अलग से प्लेटलेट्स सोच-समझकर चढ़ाना चाहिए। इससे मरीज को नुकसान भी हो सकता है।

डॉ। मनोज माथुर, फिजीशियन, एसआरएन हॉस्पिटल

घबराने की कोई बात नहीं। अभी तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। प्राइवेट जांच मान्य नहीं है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स को एमएलएन मेडिकल कॉलेज में होने वाली एलाइजा जांच कराने के लिए रिमाइंडर भेजा जा रहा है।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, हेल्थ डिपार्टमेंट