गोरखपुर (ब्यूरो)। एंटी लार्वा का छिड़काव न होने लाखों मच्छरों की फौज तैयार हो रही है। यही कारण है कि शाम होते ही गोरखपुराइट्स पर मच्छरों की फौज टूट पड़ रही है। उन्हें घर के अंदर भी चैन नहीं मिल रहा है। नगर निगम के अफसरों का कहना है कि डेली फॉगिंग कराई जा रही है। एंटी लार्वा का भी छिड़काव कराया जा रहा है।

निचले एरियाज में मच्छरों की भरमार

डेंगू जैसी गंभीर बीमारियां मादा मच्छरों को काटने से होती हैं। वहीं नर मच्छर के डंक से मलेरिया आदि बीमारियां फैलती हैं। पब्लिक का कहना है कि सबकुछ जानकर भी डिपार्टमेंट लापरवाही कर रहा है। निचली और घनी आबादी वाले एरियाज में मच्छर सबसे अधिक है। मच्छरों के चलते लोगों की रातों की नींद हराम है। यहां पर दिन में बैठना भी मुश्किल हो जाता है। मोहल्लों वालों का कहना है कि सफाई कर्मी तो प्रतिदिन झाडू लगाने के बाद नालियों व गलियों में कूड़ा डाल देते हैं। नालियां जाम होने से मच्छर व संक्रमण फैलने का खतरा मंडराने लगा है। वहीं, संबंधित विभाग की ओर से नालियों में मच्छर के मारने के लिए एंटी लार्वा का छिड़काव भी नहीं किया जाता है। शाम से ही घरों और नालियों में मच्छर भनभनाने लगते हैं। वैसे तो इन दिनों गली-मोहल्लों में मच्छरों का प्रकोप है।

हर तीन दिन पर अंडे

अगर मच्छरों की जिंदगी की बात करें तो मच्छर दो महीने से ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं। वहीं मादा मच्छर, नर मच्छर के मुकाबले काफी ज्यादा दिनों तक जीता है। अगर नर मच्छरों की लाइफ के बारे में बात करें तो वो दिन ही जीवित रह पाते हैं और मादा मच्छर 6 से 8 हफ्तों तक जिंदा रहता है। दरअसल, मादा मच्छर हर तीन दिन में अंडे देते हैं और मादा मच्छर करीब दो महीने तक जीवित रह सकते हैं।

कंट्रोल रूम में कॉल

नगर निगम के कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार सबसे अधिक फॉगिंग और एंटी लार्वा के छिड़काव की शिकायतें हैं। इसमें कुछ की प्रॉब्लम को दूर किया जा रहा तो कई पेंडिंग में हैं। कई जगह की पब्लिक का कहना है कि शिकायत पर सुनवाई नहीं हो रही है। कई का कहना है कि फॉगिंग हो रही है लेकिन एंटी लार्वा का छिड़काव नहीं कराया जा रहा है।

इन एरियाज में मच्छरों का प्रकोप

रुस्तमपुर, भगत चौराह, तारामंडल, शेषपुर, तिवारीपुर, डोमिनगढ़, निजामपुर, मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट, चरगांवा, राप्तीनगर, गीताप्रेस, बिलंदपुर, बेतियाहाता, नरसिंहपुर, खूनीपुर, रायगंज, शाहपुर, धर्मपुर, इंजीनियरिंग कॉलेज, मानबेला, बशारतपुर, गोपलापुर, गिरधरगंज, अंधियारीबाग, तुर्कमानपुर, माधोपुर, रसूलपुर, बिछिया, धर्मशाला बाजार, विकास नगर, मियाबाजार, हांसूपुर, महुईसुघरपुर, जाफरा बाजार, इलाहीबाग, दिवान बाजार, बसंतपुर आदि।

ऐसे करें बचाव

- सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करें।

- मच्छरों से सुरक्षित रहने के लिए फुल बांह की कमीज पहनना चाहिए।

- खुली त्वचा पर एंटी मच्छर क्रीम का इस्तेमाल करें

- घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें

-नालियों में एकत्र पानी हो तो उसमें डीजल डालें, इससे मच्छर मर जाते हैं

मौसम मच्छरों का ट्रांजिट पीरियड होता है। ज्यादा गर्मी होने पर यह मर जाते हैं लेकिन नालियों और घरों के आसपास एकत्र पानी में एक्टिव हो जाते हैं। अपनी लाइफ में एक जोड़ा मच्छर 100 से 150 अंडे देते हैं। इस तरह से उनकी संख्या लाखों में हो जाती है। यदि हर हफ्ते नगर निगम की टीम एंटी लार्वा का छिड़काव किया जाए तो इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।

अंगद सिंह, मलेरिया अधिकारी

मच्छरों की वजह से रात में सोना मुश्किल हो जाता है। अक्सर ही मच्छरों के भिनभिनाने से रात में आंख खुल जाती है।

वेदांत, रामजानकीनगर

मच्छर से पूरा घर परेशान है, खास कर बच्चे। घर के सारे खिड़की और दरवाजे बंद होने के बावजूद मच्छर आ जाते है। नगर निगम भी समय से फॉगिग नहीं करवाता है।

शिक्षा, मोहद्दीपुर

रात दिन मच्छर चैन से कोई काम नहीं करने देता। उठते बैठते हमेशा ही मच्छर से घिरे रहते हैं। रात में सोना भी मुश्किल हो गया है। डर लगता है कहीं मलेरिया न हो जाए ।

- गरिमा, तारामंडल