- 27 अगस्त को जीएमवीएन बोर्ड की बैठक में लगी थी मुहर

- बोर्ड का फैसला अब तक नहीं पहुंचा स्मार्ट सिटी के पास

>DEHRADUN: गढ़वाल मंडल विकास निगम की सबसे पुरानी प्रॉपर्टी में शामिल द्रोण होटल को स्मार्ट सिटी को दिए जाने पर अब तक कुहासे के बादल नहीं छंट पा रहे हैं। जीएमवीएन बोर्ड की बैठक में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन देहरादून स्मार्ट सिटी अब तक बोर्ड का फैसला उन तक न पहुंचने की बात कह रहा है। जाहिर है कि द्रोण होटल पर कई बार हो-हल्ला मचने के बाद अब तक निर्णय नहीं लिया जा पा रहा है। जिसको लेकर कर्मचारी भी असमंजस की स्थिति में हैं।

लीज पर दिए जाने का कारण घाटा

गढ़वाल मंडल विकास निगम बोर्ड की दो बार हो चुकी बैठक में द्रोण होटल को स्मार्ट सिटी को दिए जाने का मामला सामने आ चुका है। बीती 27 अगस्त को आखिरकार बोर्ड ने इस पर अपनी मंजूरी दी। इसके लिए पहली बोर्ड बैठक में मामला जरूर आया, लेकिन कर्मचारियों व बोर्ड के मेंबर्स व डायरेक्टर के विरोध के कारण फैसला नहीं हो पाया। अगली बैठक में मंजूरी मिली। लेकिन तय हुआ कि 20 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी से लिया जाएगा। इसके बाद तय हुआ कि सालाना डेढ़ करोड़ में स्मार्ट सिटी को लीज पर दिया जाएगा। होटल के जीएमवीएन से दूसरे हाथों में दिए जाने की प्रमुख वजह लगातार हो रहा घाटा बताया गया था। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद आधे महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन स्मार्ट सिटी अधिकारियों के अनुसार अब तक जीएमवीएन बोर्ड से लिए गए निर्णय की कोई सूचना स्मार्ट सिटी कार्यालय तक नहीं पहुंच पाइर्1 है।

कर्मचारी संगठन कर रहे विरोध

द्रोण होटल को दूसरे हाथों में सौंपने का मुद्दा नया नहीं है। इससे पहले भी प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने की बातें सामने आती रही हैं। लेकिन कर्मचारी संगठनों की ओर से लगातार विरोध होते आया। इससे पहले कई बार निजी होटल व्यवसाईयों ने भी होटल का विजिट किया। प्रॉपर्टी पुरानी होने के कारण होटल कारोबारी पीछे हट गए। इसी वजह से स्मार्ट सिटी की ओर से आखिरकार सुझाव आया। बोर्ड ने दूसरी बैठक में इसको मंजूर दी।

- शहर के बीचोंबीच स्थित है द्रोण होटल।

- राज्य गठन से पहले यूपी के दौरान तत्कालीन सीएम बीर बहादुर सिंह ने किया था उद्घाटन

- 9 नवंबर 2000 में राज्य गठन के बाद इसे विधायकों के लिए बनाया था स्टेट गेस्ट हाउस

- बीते 18 वर्षो में द्रोण होटल घाटे से उबर नहीं पाया

- वर्ष 2017-18 में होटल का घाटा 43.59 लाख तक जा पहुंचा

- 27 अगस्त की बोर्ड बैठक में होटल की बोली लगाई गई 20 करोड़ रुपए

- प्रति वर्ष डेढ़ करोड़ स्मार्ट सिटी से लिए जाने पर बोर्ड ने दी थी मंजूरी

- माना जा रहा था कि होटल को 30 वर्षो के लिए लीज पर दिया जा सकता है।

टूरिज्म मंत्री तक पहुंचा मामला

बताया जा रहा है कि होटल को दूसरे हाथों में सौंपे जाने के लिए अंदरखाने कर्मचारी संगठन विरोध में थे। बात टूरिज्म मिनिस्टर तक पहुंची। जिसके कारण अब तक तक इस मुद्दे पर निर्णय नहीं लिया जा सका है।

द्रोण होटल का वर्षवार घाटा लाखाें में

वर्ष -----घाटा

2015-16--10.5

2016-17--21.51

2017-18--43.59

2018-19--26.63

2019-20--5.89 (27 अगस्त तक)

होटल द्रोण को डीएससीएल को सौंपने की जीएमवीएन बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद निगम से स्मार्ट सिटी को कोई सूचना नहीं मिल पाई है। ऐसे में द्रोण होटल स्मार्ट सिटी में शामिल होगा या नहीं, फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है।

- डा। आशीष श्रीवास्तव, सीईओ, डीएससीएल।