अब डीयू हिस्ट्री ऑनर्स के स्टूडेंट्स को रामानुजम की लिखी हुई रामायण नहीं पढाई जाएगी. इस रामायण में सीता को रावण की बेटी बताने के साथ कई आपत्तिजनक बातें लिखी हैं. करीब तीन सालों से पेंडिंग इस मसले पर यूनिवर्सिटी की एजूकेशन काउंसिल की मीटिंग में यह डिसीजन लिया गया. 

मीटिंग में कई प्रोफेसर इस बुक का समर्थन भी कर रहे थे. उनका मानना है कि हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर लंबे समय से एके रामानुजम की लिखी यह रामायण पढ़ा रहे थे. उनके मुताबिक रामानुजम की यह किताब रिसर्च पर बेस्ड है और इसे रिलीजियस या किसी और वजह से हटाना ठीक नहीं है.

डीयू के रजिस्ट्रार आरके सिन्हा के मुताबिक साल 2008 में यह मामला गर्माया था. इसके बाद शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के दीनानाथ बत्रा ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने कहा था कि रामानुजम की रामायण में किसी प्रकार की आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है. यूनिवर्सिटी में क्या पढ़ाया जाए और क्या नहीं इसका डिसीजन यूनिवर्सिटी और उसका हिस्ट्री डिपार्टमेंट करेगा, इसमें कोर्ट की दखल ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी मसले पर फैसला दिया कि डीयू कुलपति और एजूकेशन काउंसिल डिस्कशन कर इस मसले पर निर्णय लें.

रामानुजम की यह बुक हिस्ट्री ऑनर्स के स्टूडेंट्स आप्शनल बुक के रूप में पढ़ते थे. इसकी जगह पर दूसरे किताबें लगाई जाएंगी. हिस्ट्री के दो नए राइटर्स रोमिला थापर और आरके शर्मा की बुक्स को करिकुलम में शामिल किया गया है.

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