कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। दुनिया भर में मनाए जाने वाले त्योहार ईद-उल-फितर को मीठी ईद के रूप में भी जाना जाता है। दृक पंचांग के मुताबिक इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस दिन रमजान के पवित्र महीने के अंत और 1442 हिजरी के 10 वें महीने शव्वाल की शुरुआत होगी। मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार, रमजान का महीना चंद्र कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना होता है। ईद रमजान के दौरान प्रार्थना और उपवास करने वालों के लिए अल्लाह (ईश्वर) की ओर से एक इनाम है। रमजान इस साल 13 अप्रैल को शुरू हुआ था। ऐसे में अगर रमजान माह 29 दिनों में समाप्त होता है तो ईद-उल-फितर 13 मई को होगी और अगर रमजान माह 30 दिनों में समाप्त होता है तो यह 14 मई को होगी।

ईद चांद दिखने के बाद मनाई जाती है
हालांकि, रमजान महीने का अंत और ईद-उल-फितर की सही तारीख क्रिसेंट मून (अर्ध चंद्र) दिखने पर निर्भर करती है। भारत सहित अधिकांश देशों में मौलवियों की एक हाईलेवल कमेटी है जो ईद उल फितर का दिन तय करती है। भारत में, क्रिसेंट मून यानी कि चांद का दर्शन रूयत-ए-हिलाल समिति द्वारा घोषित किया जाता है। इसलिए ईद मनाने का समय और तारीख कंट्री टू कंट्री डिपेंड करती है। कई देश ईद को उसी तारीख को मनाते हैं जिस दिन सऊदी अरब में मनाई जाती है।हालांकि भारत में ईद उल फितर सऊदी अरब में क्रिसेंट मून देखे जाने के दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि भारत में ईद यूएई में मनाए जाने के एक दिन बाद मनाई जाती है।

इस्लाम में ईद के दिन दान का विशेष महत्व
ईद-उल-फितर के दिन लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इस्लाम में ईद के दिन दान का विशेष महत्व है। जीवन के सभी क्षेत्रों के मुस्लिमों को यथाशक्ति धन या भोजन और कपड़े के रूप में कुछ दान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। जकात उल-फितर (ईद का दान) रमजान माह के अन्त में ईद की नमाज से पहले दिया जाता है। मुस्लिमों द्वारा जकात के नाम से अपनी वार्षिक आय का कुछ भाग निर्धनों व दरिद्रों को कर स्वरूप दिया जाता है। कुछ देशों में जकात व्यक्ति का निजी निर्णय तो कुछ देशों में सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसके अलावा इस दिन सेवइयों के अलावा खीर, फिरनी, हलवा, गुलाब जामुन जैसे विभिन्न पकवान आदि तैयार होते हैं।

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