-दोषी एसटी इलेक्ट्रिकल्स ब्लैक लिस्टेड

-एक्सईएन, एसडीओ और जेई को किया गया था निलंबित

-30 करोड़ रुपये का था काम, 12 करोड़ रुपये का हो चुका है काम

-एसटी इलेक्ट्रिकल्स को तकरीबन छह करोड़ रुपये का भुगतान

GORAKHPUR: गोलघर इलाके में अंडरग्राउंड केबिल बिछाने वाली एसटी इलेक्ट्रिकल्स फर्म को बिजली निगम ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। अब दूसरी फर्म काम कराएगी। बिजली निगम इसकी तैयारी में लग गया है। हालांकि अब तक तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अवधेश सिंह और चीफ इंजीनियर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में नगरीय विद्युत वितरण खंड प्रथम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता एके सिंह, एसडीओ गोलघर प्रत्युष बल्लभ और गोलघर के जेई एके चौधरी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

30 करोड़ में कराया जा रहा था काम

गोलघर में अंडरग्राउंड वायरिंग का काम 30 करोड़ रुपये में कराया जा रहा था। काम मई 2019 पूरा होना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब अंडरग्राउंड वायरिंग का काम पूरा कराने की समय सीमा 21 अगस्त कर दी गई है। फर्म घटिया काम करा रही थी, इसके बाद भी छह करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया है। फर्म 12 करोड़ रुपये का काम करा चुकी थी।

विधायक की जांच में खुली पोल

विधायक डॉ। राधामोहन दास अग्रवाल ने तीन जुलाई को पुर्दिलपुर में अंडरग्राउंड केबिल की जांच की तो भ्रष्टाचार सामने आ गया। मुख्यमंत्री ने गड़बड़ी का संज्ञान लिया तो जिलाधिकारी के। विजयेंद्र पाण्डियन ने काम कराने वाली मेसर्स एसटी इलेक्ट्रिकल्स के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था। निलंबित किए गए अवर अभियंता अरुण चौधरी की तरफ से तहरीर दी गई थी। इस मामले की जांच जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट से कराई थी। इसी आधार पर मुख्यमंत्री ने निलंबन की कार्रवाई की है।

ये था मामला

बिजली निगम के अफसरों के साथ नगर विधायक डॉ। आरएमडी अग्रवाल ने तीन जुलाई को अंडरग्राउंड वायरिंग का काम देखा था। नगर विधायक ने पुर्दिलपुर में गैती व फावड़े से खुदाई कराई तो बिजली निगम और एक भाजपा विधायक की फर्म की धांधली खुलकर सामने आ गई। पता चला कि 47 सेमी नीचे केबल डाली गई थी। जबकि, अनुबंध के अनुसार 90 सेमी गहराई की ट्रैंच खोदकर पांच सेमी बालू बिछाकर केबल डाला जाना चाहिए था। केबलों के बीच में अनुबंध की तकनीकी विशिष्टताओं को भी पूरा नहीं किया गया। इसके मुताबिक केबिल अलग-अलग खानों के लिए ईंट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था।

मेसर्स मेधज के खिलाफ भी दर्ज है केस

कंपनियों के कामकाज की गुणवत्ता की रिपोर्ट देने वाली एजेंसी मेसर्स मेधज टेक्नो कांसेप्ट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कैंट थाने में केस दर्ज करा दिया गया था। सिटी मजिस्ट्रेट सहित तीन सदस्यीय कमेटी ने एजेंसी के कामकाज पर सवाल उठाए और रिकवरी की सिफारिश भी की है। अब बिजली निगम एजेंसी को काली सूची में डालने की तैयारी में जुटा है।

छोटे नपे, बड़े बचे

आईपीडीएस का जो अनुबंध है, उसके मुताबिक मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी चीफ इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता शहर की बनती है। मेसर्स मेधज की तरफ से अलग-अलग स्थान की रिपोर्ट भी भेजी गई। कहा गया कि काम की गुणवत्ता ठीक नहीं है। अब अधिशासी अभियंता, एसडीओ और अवर अभियंता को जिम्मेदार ठहराकर पूरे मामले में खानापूर्ति कर दी गई है। बड़े अफसरों को बख्श दिया गया है।

ये है आईपीडीएस

इस योजना के तहत अंडरग्राउंड वायरिंग, ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग व मेंटीनेंस, एचटी व एलटी लाइन का निर्माण, बिजली के खंभों की शिफ्टिंग व नए खंभे लगाने काम कराया जा रहा है। ज्यादातर कामकाज की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं। इस योजना के तहत तीन उपकेंद्र भी बनाए गए हैं।

कोट

बिजली निगम के निर्देश पर एसटी इलेक्ट्रिकल्स को काली सूची में डाल दिया गया है। गोलघर में हुए कार्य का मूल्यांकन कराया जाएगा। नई फर्म को काम दिया जाएगा।

देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर