शोधकर्ताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैंकड़ों सालों से रहने वाले किन्नरों के जीवन से जुड़े घरेलू दस्तावेज़ों का अध्ययन किया. अध्ययन से ये नतीजा निकला कि बधियाकरण के कारण किन्नर ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा रहते हैं.
शोध के अनुसार दूसरे लोगों की तुलना में किन्नर लगभग 20 साल ज़्यादा जीवित रहते हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि पुरूषों का हार्मोन उनकी उम्र को कम कर देता है.
अहम भूमिका
"कोरिया में रहने वाले किन्नरों के बारे में शोध से पता चला कि उनमें महिलाओं जैसे कुछ लक्षण पाए जाते थे जैसे उन्हें मूंछें नहीं होतीं थीं, उनके नितम्ब और छाती बहुत बड़े होते थे और उनकी आवाज़ बहुत भारी होती थी"
शोधकर्ताओं के अनुसार अगर बचपन की शुरुआत में ही बालकों के अंडकोष को काट दिया जाए तो उससे उनका विकास बाधित होता है और वे बालक कभी भी पूरी तरह से पुरुष नहीं बन पाते.
इस शोध से जुड़े एक वैज्ञानिक डॉक्टर शीयोल कू ली का कहना था, ''कोरिया में रहने वाले किन्नरों के बारे में शोध से पता चला कि उनमें महिलाओं जैसे कुछ लक्षण पाए जाते थे जैसे उन्हें मूंछें नहीं होतीं थीं, उनके नितम्ब और छाती बहुत बड़े होते थे और उनकी आवाज़ काफी भारी होती थी.''
वैज्ञानिकों ने चोसुन वंश के शासन के दौरान शाही दरबार में काम करने वाले किन्नरों के बारे में उपलब्ध दस्तावेज़ों का अध्ययन किया. अध्ययन में पता चला उस समय कुल 81 किन्नर शाही दरबार में काम करते थे.
उन किन्नरों का जन्म सन् 1556 से लेकर सन् 1861 के बीच हुआ था. उन किन्नरों की औसत आयु 70 वर्ष थी और उनमें से तीन तो 100 साल से भी ज़्यादा दिनों तक जिंदा रहे थे.
किन्नरों की तुलना में कुलीन घरानों के पुरुषों की औसत उम्र 50 से थोड़ी ज़्यादा थी जबकि शाही घरानों के पुरुषों की औसत उम्र तो केवल 45 वर्ष थी.
हालांकि उस समय की महिलाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है जिससे उनकी तुलना किन्नरों से की जा सके.
टेस्टोस्टरोन
लगभग सभी समाज में महिलाओं की उम्र पुरूषों के मुक़ाबले ज़्यादा होती है. लेकिन अभी तक इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल सका है.
एक राय यह है कि ऐसा पुरूषों में पाए जाने वाले हार्मोन टेस्टोस्टरोन के कारण होता है.
'करंट बायोलॉजी' नाम की पत्रिका में प्रकाशित शोध के शोधकर्त्ताओं के अनुसार ये पक्के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन ऐसे काफी प्रमाण मिले हैं जिनके आधार पर ये कहा जा सकता है कि पुरूषों के शरीर में पाया जाना वाला हार्मोन 'टेस्टास्टरोन' उनकी उम्र को कम कर देता है.
शोधकर्ताओं के अनुसार हार्मोन में पाए जाने वाले रसायन से प्रतिरक्षा तंत्र और ह्रदय को नुक़सान पहुंचता है.
लेकिन बधियाकरण से 'टेस्टास्टरोन' की प्रक्रिया के बाद शरीर में ये हार्मोन पैदा ही नहीं होता जिससे ना सिर्फ उनके शरीर में होने वाला नुक़सान कम हो जाता है बल्कि किन्नरों की उम्र भी लंबी हो जाती है.
ब्रिटेन में 'बुढ़ापे' पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरिया में किया गया ये शोध बहुत रोचक है लेकिन किन्नरों की लंबी आयु की एक वजह उनके जीवन यापन का तरीक़ा भी हो सकता है.
लैन्कैस्टर विश्वविद्यालय के डॉक्टर डेविड क्लैन्सी का कहना है, ''शोध के नतीजे कुछ सुझाव ज़रूर देते हैं लेकिन निश्चित तौर पर ये नतीजे निर्णायक नहीं हैं.''