ऐसी है जानकारी
इस क्रम में एनजीटी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली एक खंडपीठ ने कहा है कि इस समय ऐसी चीजें हो रही हैं, जो वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। आगे बोलते हुए हरित अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार की जमकर खिंचाई की और मामले पर गौर करने व इस पर अविलंब कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया।

पीठ ने कहा ऐसा
इस पूरी बहस के दौरान अधिवक्ता गौरव बंसल ने पीठ के सामने कहा कि लोग इंसानों के शवों और मृत पशुओं को धड़ल्ले के साथ गंगा नदी में डाल रहे हैं। इसके बावजूद अधिकारी कथित रूप से ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पीठ की ऐसी शिकायत के बाद एनजीटी ने यह निर्देश दिया।

एक नजर पीछे भी
याद दिला दें कि इससे पहले 15 जनवरी को हरित अधिकरण ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार से गंगा के तटों पर प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान करने को कहा था। इसके साथ ही इन उद्योगों की ओर से नदी में छोड़े जाने वाले पदार्थों की मात्रा और गुणवत्ता से पीठ को अवगत कराने के लिए कहा गया था, लेकिन इनमें से कितनी बातों पर अमल किया गया, ये तो सामने है।

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