जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत पहुंचा था मिलने
फर्जी डीसी यहां बोकारो जिले चास प्रखंड के बेलुंजा गांव में रिलायंस कंपनी का पावर प्लांट लगाने के नाम पर जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया के तहत बोकारो उपायुक्त उमाशंकर सिंह से मिलने पहुंचा था. उपायुक्त सिंह को बातचीत के दौरान यह आशंका हुई कि यह आदमी गलत है. तत्काल उन्होंने उस फर्जी डीसी को अपर समाहर्ता डा. संजय सिंह के पास भेज दिया. इसके बाद उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी। सूचना मिलते ही सिटी डीएसपी सहदेव साव ने दल-बल के साथ उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर फर्जी डीसी बने यूपी के गाजीपुर निवासी डा. बीके श्रीवास्तव सहित उनके साथ पहुंचे सभी 15 लोगों को हिरासत में ले लिया.

फर्जी डीसी ने अपना नाम भी बताया था गलत
फर्जी डीसी का असली नाम पीके श्रीवास्तव है, जबकि उसने उपायुक्त उमाशंकर सिंह को अपना नाम डा. बीके श्रीवास्तव बताया था. फर्जी डीसी मूल रूप से यूपी के गाजीपुर का रहनेवाला है. उसके साथ गिरफ्तार होने वालों में गाजीपुर निवासी शमीम अख्तर, मो. खालिद, खालिद खान, रांची निवासी बिजीश, जाकिर हुसैन, मो. शंकी, अली राजा, तोपचांची धनबाद निवासी अशफाक अंसारी, इफ्तिखार अंसारी, मनोवर अंसारी, बालीडीह निवासी मजहर इमाम, सेक्टर छह सी, आवास संख्या-2123 निवासी गंगाराम मिश्रा, सेक्टर छह डी, आवास संख्या-1322 निवासी आनंद कुमार, सिवनडीह बोकारो निवासी लालबाबू अंसारी के नाम शामिल हैं.

कैंप लगना था बेलुंजा गांव में
चास मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के बेलुंजा गांव में शनिवार को तथाकथित कुशीनगर के डीसी की ओर से पावर प्लांट की स्थापना के लिए कैंप लगाने की योजना थी. इसके लिए ग्रामीणों को तीन दिन पहले वहां के कुछ स्थानीय दलालों द्वारा कैंप के बारे में सूचना दी गई थी. कैंप स्थल पर सुबह से ही ग्रामीणों की भीड़ जमा होने लगी थी. कैंप के माध्यम से ग्रामीणों को जमीन के एवज में मुआवजा, नियोजन व अन्य सुविधाएं देने की जानकारी से अवगत कराया जाना था. वहां पर दलालों की ओर से यह भी अफवाह फैलायी गई थी कि बोकारो उपायुक्त स्वयं आकर इसकी घोषणा करेंगे. इससे ग्रामीणों में उत्साह जगा था, लेकिन जब फर्जी डीसी बोकारो डीसी से मिलने पहुंचे तो मामला पूरी तरह साफ हो गया कि कुछ जमीन दलालों ने भोले-भाले ग्रामीणों को अपने जाल में फंसाकर उनकी जमीन को हड़पने की पूरी तैयारी कर रखी थी.

नीली बत्ती लगे वाहन से आए थे फर्जी डीसी
फर्जी डीसी पीके श्रीवास्तव नीली बत्ती लगे इनोवा वाहन संख्या-जेएच 01 डब्ल्यू-1521 से उपायुक्त कार्यालय पहुंचे थे. उनके साथ कई अन्य चार पहिया वाहनों में सवार होकर एक दर्जन से अधिक लोग भी डीसी कार्यालय पहुंचे थे. फिलहाल नीली बत्ती लगी गाड़ी को जब्त कर लिया गया है, जबकि अन्य वाहनों को उसके चालकों ने हटा लिया.

कैसे हुआ डीसी को शक
फर्जी डीसी ने अपने को जैसे ही 2009 बैच का आईएएस अधिकारी बताया, वैसे ही बोकारो डीसी उमाशंकर सिंह को शक हो गया था, क्योंकि बोकारो डीसी सिंह स्वयं 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. तत्काल उन्होंने मोबाइल के जरिए कई जगहों से पूछताछ कर यह भी पता कर लिया कि इस नाम का व्यक्ति 2009 बैच में था ही नहीं. इसके बाद डीसी सिंह ने अविलंब पुलिस को इसकी सूचना दे दी.

पुलिस के हत्थे चढ़ते ही बदल गया सुर
पुलिस ने जैसे ही फर्जी डीसी को अपने कब्जे में लिया वैसे ही तथाकथित डीसी ने बताया कि सर हमारे बहनोई डीसी हैं और हम एसडीओ थे, लेकिन हमने नौकरी छोड़ दी है.

क्या कहते हैं डीसी
उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने इस बारे में कहा कि ऐसे लोग भोले-भाले ग्रामीणों को बेवकूफ बनाते हैं. फर्जी पहचान देकर मेरे नाम से बेलुंजा में कैंप लगाकर लोगों को पावर प्लांट की स्थापना के बारे में घोषणा करनी थी. रिलायंस कंपनी के नाम का दुरुपयोग कर ग्रामीणों की जमीन हड़पने की योजना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अगर रिलायंस कंपनी के पास एमओयू होता तो इसकी जानकारी हमें अवश्य होती. इस मामले में संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

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