क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: हम सिर्फ खोद कर निकालते ही नहीं, बल्कि फिर गाड़ भी देते हैं..फैमिली ऑफ ठाकुरंगज का यह डायलॉग लिखने वाले दिलीप शुक्ला इन दिनों रांची में हैं. ये वही दिलीप शुक्ला हैं जिन्होंने घायल, दामिनी, अंदाज अपना-अपना के डायलॉग के अलावा सुपरहिट फि ल्म दबंग को भी लिखा है. रांची के युवा अजय सिंह द्वारा बनाई गई फिल्म रिलीज को तैयार फैमिली ऑफ ठाकुरगंज के बारे में उन्होंने कहा कि दबंगई के नए अंदाज को लेकर यह फिल्म आ रही है. दिलीप शुक्ला का कहना है कि यह एक अलग तरह की मूवी है, जो दर्शकों को खूब पसंद आएगी. इस फिल्म में दबंग किरदार को अलग तरह से दिखाया गया है. पूरे परिवार के साथ इसे देखा जा सकता है.

स्टोरी के अनुसार कैरेक्टर

फि ल्म फैमिली ऑफ ठाकुरगंज के बारे में दिलीप शुक्ला बताते हैं कि इसकी कहानी हमने पहले से लिख रखी थी, जब प्रोड्यूसर अजय सिंह को बताया तो उन्हें यह पसंद आ गई. इस फि ल्म के लिए हमने जो कैरेक्टर सोच कर कहानी लिखी थी वो सारे कैरेक्टर मिल गए हैं.

ऐसे मिली पहली फिल्म घायल

लखनऊ के रहने वाले दिलीप शुक्ला बताते हैं कि आठवीं क्लास से मुझे प्ले लिखने का शौक था. 15 साल की उम्र में मैंने मुंशी प्रेमचंद की कहानी मंत्र का रवींद्रालय में नाट्य रूपांतरण किया था, जिसे लोगों ने इतना सराहा कि मेरा हौसला बढ़ गया. मैं साल 1982 में मुंबई चला गया. वहां सात साल कठिन संघर्ष किया उसके बाद 1989 में मुझे घायल फिल्म मिल गई, जहां से बॉलीवुड में मेरा करियर शुरू हुआ.

पढ़े-लिखे लोग इंडस्ट्री में आएं

दिलीप शुक्ला बताते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री को भी एक बिजनेस की तरह मानना चाहिए. यहां कुछ लोग शार्ट टर्म के लिए आते हैं. पैसा लगाते हैं. फिल्म नहीं चलने के बाद लौट जाते हैं और बाद में गलत धारणा बना लेते हैं. लेकिन, इंडस्ट्री में रहने के लिए कमिटमेंट, पेसेंस और जानकारी बेहद जरूरी है.

मूवी में रिलेशन-इमोशन जरूरी

दिलीप शुक्ला बताते हैं कि मैं जब भी कोई कहानी लिखता हूं तो इस बात का जरूर ध्यान रखता हूं कि रिलेशन और इमोशन दोनों चीजों को जरूर लाया जाए. आज भी लोग फिल्म में रिश्ते और इमोशन देखना पसंद करते हैं.

रांची से भी कुछ लेकर जाना है

दिलीप शुक्ला बताते हैं कि एक राइटर के पास बहुत सारी इंर्फोमेशन जरूरी है. वो अगर अलग-अलग राज्यों में जाते हैं. वहां की भाषा, वहां के कल्चर, वहां के लोगों को समझते हैं. इसके बाद कोई फिल्म लिखने से पहले उसे फिल्म में डालने का प्रयास किया जाता है. रांची से भी मुझे बहुत कुछ सिखकर, लोगों से मिलकर जाना है.